मर्द का दर्द
#WritcoStoryPrompt117
चार लोग क्या कहेंगे ये
कभी नहीं सोचते है
हम वो मर्द है जो घर के
रसोई में कचोरी तलते है
कभी देर हो जाए तो साथ बैठ
माँ के साथ उसी थाली में भोजन करते है
कभी किसी बाजार में पसंद आ जाये
कुछ तो बहन के लिए उसे खरीदते है
वैसे तो अपनी संस्कृति के बहूत हम
पक्के है पर जरूरत पर इंसानियत को पहले चुनते हैं
हम वैसे मर्द है जो अपनी महबूब
को तोहफे में कुमकुम बिंदी काजल देते हैं
कभी मौका नहीं मिला नहीं तो झुक कर उसके पैरों में पायल
पहनाने की ख्वाहिश करते है
हाँ किसी की तकलीफों में हम
उस को तड़पता नहीं देख सकते है
छलक आते आँसू तो अक्सर छूपा लेते है क्यूंकि दुनीयाँ के लिए मर्द रो नहीं सकते है
जब कोई औरत माँ बनती है तो ये बता पाना नामुमकिन है की कितने दर्द वो सहते है
पर इतना ही ये भी सच्च है की उनके मर्द को माँ और बच्चे की परेशानी से वो तड़प उठते हैं
" अक्सर दिल की तकलीफों से मर जाते हैं "
" वो बयाँ करे भी कैसे कोई मर्द को समझ नहीं पाते हैं "
© रौशन rosi...✍️🍁
चार लोग क्या कहेंगे ये
कभी नहीं सोचते है
हम वो मर्द है जो घर के
रसोई में कचोरी तलते है
कभी देर हो जाए तो साथ बैठ
माँ के साथ उसी थाली में भोजन करते है
कभी किसी बाजार में पसंद आ जाये
कुछ तो बहन के लिए उसे खरीदते है
वैसे तो अपनी संस्कृति के बहूत हम
पक्के है पर जरूरत पर इंसानियत को पहले चुनते हैं
हम वैसे मर्द है जो अपनी महबूब
को तोहफे में कुमकुम बिंदी काजल देते हैं
कभी मौका नहीं मिला नहीं तो झुक कर उसके पैरों में पायल
पहनाने की ख्वाहिश करते है
हाँ किसी की तकलीफों में हम
उस को तड़पता नहीं देख सकते है
छलक आते आँसू तो अक्सर छूपा लेते है क्यूंकि दुनीयाँ के लिए मर्द रो नहीं सकते है
जब कोई औरत माँ बनती है तो ये बता पाना नामुमकिन है की कितने दर्द वो सहते है
पर इतना ही ये भी सच्च है की उनके मर्द को माँ और बच्चे की परेशानी से वो तड़प उठते हैं
" अक्सर दिल की तकलीफों से मर जाते हैं "
" वो बयाँ करे भी कैसे कोई मर्द को समझ नहीं पाते हैं "
© रौशन rosi...✍️🍁