...

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तेरी मेरी कहानी
आज मैं लिखने जा रहा हूं एक ऐसी प्रेम कहानी जो आपके दिल को छू लेगी....
इस प्रेम कहानी की शुरुआत हुई थी स्कूल से...
मुझे इश्क हुआ था जब मैं 9वीं कक्षा में पढ़ता था और उस वक्त मुझे इश्क का "इ" भी नहीं
पता था। मेरी ही कक्षा में एक बिंदास और मिलनसार स्वभाव वाली लडकी पढ़ती थी उसी
से मुझे इश्क हो गया अब मैं ठहरा भोले का भक्त भोला और शर्मिला मिजाज़ का.....ये तो
हो गया परिचय अब शुरू होती है कहानी.....
जब मैंने उसे पहली बार देखा था तभी से मन ही मन मैं उसे चाहने लगा था। मैंने
दोस्ती की चाहत की थी उससे ना जाने कब मुझे प्यार हो गया मैंने पी नहीं कभी , ना जाने क्यों उसको देखते ही नशे का खुमार सा हो गया। मैं रोज उससे पहले स्कूल आता और
उसका इतंजार करता उससे बात भले ही नहीं करता पर उसे एक पल देखने के लिए सौ पल का इतंजार करता इतंज़ार करते करते उसकी ही कल्पना में खो जाता मेरी उस कल्पना
में मुझे उसके प्यार का एहसास होता। मोहब्बत का नशा भी अजीब सा होता है.. बिना कुछ
पिए ही चढ़ जाता है.. हर पल में जीने का एहसास सा होता है.. छोटी-छोटी खुशियां भी बडी
सी लगने लगती है.. उनसे बात हो ना हो, एक झलक नजर आने से शाम बन जाती है..हवाओं में भी अलग सी सरसराहट महसूस होती है.. कानो में हलके से उसकी आवाज़
सुनाई पड जाती है.. उसकी मुस्कराहट सेअच्छा कोई संगीत लगता ही नहीं है... एक तमन्ना
थी की उसे ये बात बता सकूूँ लाल जोडे में उसे अपना बना सकूूँ मेरा सपना सच अगर मैं
कर सकूूँ माूँग उसकी मैं अपने हाथों से भर सकूूँ किंतु कडवे सच को मैं पी रहा था और
ख़्वाबों की दुनियां में जी रहा था।
मुझे ये पता था के हम दोनों कभी एक नहीं हो सकते थे न तो वो मेरी हो सकती थी ....और न ही मैं उसका हो सकता था .... मैं उसे पा भी नही सकता और खोना भी नही चाहता..बस
कुछ खट्टा... कुछ मीठा....आपस मे बांटना चाहता था....जो शायद कही और किसी के पास
नही बांटा जा सकता ...थोडा हँसना चाहता था. खिलखिलाना चाहता था...बस कुछ ऐसे
ही मन की दो बातें करना चाहता था...
कभी उल्टी सीधी ,बिना सर पैर की बाते...तो कभी छोटी सी हंसी ओर कुछ पल की खुशी
बस इतना ही चाहता था मैं उससे..
लेकिन मैं कभी कह नहीं पाया उसे ये सब....सारी बातें मेरे दिल के कोने में ही दबी रह गई। ऐसे करते करते स्कूल ख़त्म होने को आ गया और हम दोनों अलग अलग हो गए मैं भी उच्च शिक्षा के लिए शहर
चला गया और वो भी कहीं किसी दूसरे शहर में.....बस अपने साथ कुछ हसीन यादें और बातें रह गई। कभी कभी सोचता था के काश! वो गुज़रे पल लौट आए जो मैने उसके साथ बिताए थे हर दिन की एक वो
सुबह जो स्कूल में उसके साथ होती थी और मैं उसे सब कुछ बोल दूंगा। खैर ये सब मेरे ख़्वाब थे।
हम दोनों कई वर्षों बाद मिले लेकिन दुुःख इस बात
का था के किस्मत ने हमें तब मिलाया जब किसी अजनबी ने उसे अपना बनाया। मुझे आज भी बहुत
रुलाती है वो शाम जब मैं उससे ही नहीं अपने आप से भी बिछड़ा था जब किसी अजनबी ने
उसका हाथ पकडा था वो किसी और की हो गई ये सुनते ही मेरी घडी से वक्त गिर पडा था उस शाम के बाद क्या हुआ, मैं कहां गया,
कैसे जिया, क्या किया उसने पूछा नहीं मैंने बताया नहीं उसके बाद मैंने किसी और से दिल लगाया नहीं उसे एक दिन भी भुला पाया नहीं,बस दुुःख इस बात का रहा की मैं
अपने दिल की बात उससे कह पाया नहीं, कुछ पल ख्वाब केसाथ गुज़रे.... और ज़िंदगी जी ली
मैंने...देखता ही रहा उसे मेरे पास होने तक,साथ होने तक, और फिर बस देखता रह गया उसे दीपक की भीड में गुम हो जाने तक... जैसे गुम होता डूबता सूरज... लिपटी रह गयी फिर मुझसे केसरिया शाम
हमारे हाथ में थमे हाथ सी...
उसे भी शायद मेरे प्यार का एहसास हो गया था भले ही मैं कम पढ़ा लिखा लडका था , मेरी किताबों
से कभी दोस्ती नहीं हुई
पर उसकी आंखें पढ़ने में मुझसे कभी गलती नहीं हुई मैंने उसके हर एहसास को पढ़ा है, उसकी हर ख़ामोशी को समझा है उसकी मुस्कुराहट के पीछे छुपे हर गम को महसूस किया हैऔर उस दिन भी मैंने
उसकी मजबूरी को समझा था मेरे प्यार की कद्र उसे भी थी लेकिन उसकी भी कुछ मजबूरी थी। उस यूं लगा मानो सब कुछ खत्म हो गया हो लेकिन सात फेरों में कहां सीमटती है ये मोहब्बत की
रिवायते...!! तन को छुने वाले अक्सर मन को अनछुआ ही छोड देते हैं...!!
कुछ दिनों बाद उसका फोन आया और कहने लगी..." मैं तुम्हें ज्यादा कुछ तो नहीं दे सकती लेकिन हम
एक अच्छे दोस्त बनकर रह सकते है, क्या तुम मेरे दोस्त बनना पसंद करोगे? "
वो कभी समझ ही नहीं पायी पगली मुझे उसकी खुशी से बढ़कर कभी कुछ चाहा ही नही मैंने।

वो स्कूल वाली एक तरफा मोहब्बत
कैसे भूल पाऊंगा मैं
वो उसको छुपकर देखना
मेरा बेवजह उसकी कक्षा में चक्कर लगाना
वो सादगी भरी मुस्कान
वो प्यार भरे खयाल
उससे मोहब्बत तो बेशुमार करना, लेकिन बात बिलकुल भी ना करना
नजरे झुका के देखना और
उसके साथ साथ स्कूल से बाहर निकलना
हर वक्त उसी को सोचना
बहुत याद आते है वो दिन
उसको यूं नीचे नीचे देखना
मुझे देखकर उसका नजरंदाज करना
नजरे मिलते ही सरमाना
अक्सर दोस्तों से उसके बारे में पूछना
उसकी इज्ज़त के बारे में सोचना

वो स्कूल वाली एक तरफा मोहब्बत
कैसे भूल पाऊंगा मैं

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