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संस्कार के शब्द
स्वभाव में विनम्रता, शब्दों में मिठास और कर्म में कर्तव्यनिष्ठा ये श्रेष्ठ संस्कारों के परिचायक हैं। इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ कि आपकी परवरिश श्रेष्ठ संस्कारों में हुई है। मनुष्य के शब्द नहीं बोलते अपितु उसका संस्कार बोलता है। शब्द किसी मनुष्य के संस्कारों के मुल्यांकन का सबसे प्रभावी और सटीक आधार होता है।
मनुष्य जीवन एक दुकान है तो जुबान उस दुकान का ताला है। जुबान रूपी ताला खुलने पर ही मालूम पड़ता है कि इसके अंदर क्या भरा पड़ा है, सद्गुण रुपी हीरे या कुसंस्कार रूपी कोयला..?
कभी - कभी जीवन निकल जाने पर भी शब्दों के घाव नहीं निकल पाते इसलिए जीवन में जब भी बोला जाए मर्यादा में रहकर ही बोला जाए ताकि किसी दूसरे के द्वारा आपके संस्कारों के ऊपर कोई प्रश्न चिह्न खड़ा न किया जा सके। एक बात और कुशब्द प्रयोग से निशब्द हो जाना कई गुना बेहतर है।
© अlpu


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