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तुम नहीं हो,फिर भी तुम हो जैसे कहीं
यूं तो जानती हूं कि तुम मुझसे और मेरी जिंदगी से दूर बहुत दूर जा चुके हो पर फिर भी ऐसा क्यूं है?
कोई करीब आने की कोशिश करता है दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो मन बहुत जोर लगता कर उसे दूर धकेल देता है।
ये नही तैयार आज भी किसी से दोस्ती तक करने को।
जानते हो सबके बाद भी तुमसे नहीं कर पाई कभी नफ़रत हाला की चाहा बहुत की करूं ।नफ़रत के सहारे ही तुम्हे, तुम्हारी यादों को खुद से दूर कर पाऊं।
पर सच ये भी है की मैं चाहती हूं तुम्हे सजों कर रखना दिल के किसी कोने में।
जैसे कोई कीमती तोहफा हो तुम जिंदगी का।
हालाकि मैंने किया है पूरी वफ़ादारी से तुमसे वफ़ा पर फिर भी किसी को नही आने देती खुद के करीब।
हर वो दोस्त जो तुम्हे नहीं पसंद था ,जिससे बात करने मिलने की बात पर तुमसे लड़ जाया करती थी अब उनके फोन महीनो नही उठाती।
कुछ ने तो छोड़ दिया कोशिश करना मुझसे राबता रखने का।
हां,मैं जानती हूं ये सब गलत है पर इस वक्त में यही सही लग रहा करना,तो कर रही।
किसी से देर रात तक बात कर लूं या किसी से वो कोई भी एक बात कहूं जो सिर्फ तुमसे साझा करती थी तो यकीन मानो रोना आता है।
लगता है जैसे तुमसे बेवफाई है ये।
जाने क्यूं दिल आज भी तुमसे वफ़ा करना चाहता है।
हां, दर्द कम हुए हैं पहले से पर खत्म नहीं हुए हैं।
वो भी हो जायेगा एक दिन।
मैं ये भी जानती हूं।
खुद को सम्हलने का वक्त देना चाहिए न,ये जरूरी भी है।
तो हां मैं सम्हाल रही हूं खुद को,बहुत अच्छे से।
तुम खुश रहना,ये भी जरूरी है।

हां याद रखना, आज भी दिल के करीब हो तुम।
मेरे नही हो तो क्या हुआ,यादों में तो मेरे हो सकते हो न?

चलो शाम हो गई,चलती हूं मेडिटेशन का वक्त हो रहा है,छत पर काफी ठंड है।
आज भी इस शहर का मौसम वैसा है जैसा तुम छोड़ गए थे।
खुशनुमा बिलकुल तुम्हारी तरह।😊

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