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संक्रांति काल -पाषाण युग ८
परिवार बढ़ रहा था। जारा और साना भी सरल हृदय से अपने नये परिवार को अपना चुकी थीं और सारकी से अधिक अम्बी में उन्हे अपनी जननी नजर आती थी।अम्बी के मन में तो उसकी स्वाभाविक सरलता ने किसी द्वेष को
बाकी नहीं रखा पर शायद सारकी को अम्बी और जादौंग का साथ कष्ट देता था।सारकी के अन्दर पनप रही ईर्ष्या धीरे धीरे बलवती हो रही थी। उसे लग रहा था की उसकी संतान पर भी अम्बी का नियंत्रण हो रहा है और जादौंग भी अम्बी को ही प्रेम करता है। वह भूल गई की कैसे आसानी से अम्बी ने उसे और उसकी बेटियों को अपना लिया था ।उसे अम्बी की अच्छाईयाँ छल लगने लगी थी । उसके चेहरे के भावों को अम्बी ने अनुभव कर लिया था ।

बच्चों में आपस में परस्पर स्नेह बरकरार था , बस कभी कभी अम्बी पर अपना आधिपत्य जताने के लिए उलझ पड़ते थे पर अम्बी उन्हे बेहतरीन तरीके से उदाहरण द्वारा मिलकर रहना सिखाती थी।मग़र उस दिन साना की तकरार तार्षा (जादौंग अम्बी से उत्पन्न बडी बेटी ) से हो रही थी । साना ने अम्बी के लाए फल ,जो सभी बच्चों बेहद पसंद थे ,छिपा दिए थे।तार्षा ने उसे ऐसा करते देख लिया और इसी बात पर दोनो एक दूसरे के बाल खींचती गुत्थमगुत्था हो गईं ।

अम्बी जो कुत्तों को माँस के टुकड़े खिला रही थी बच्चों के कोलाहल को सुन कर वहाँ आ गई .....उसे खराब लगा की सारकी बच्चों को लड़ते देख हँस रही थी । अम्बी के गुस्से में चिल्लाने पर दोनों लड़कियाँ अलग हो गईं , और नजरें नीचे कर खडी रहीं । सारकी जो इतनी देर से मजे से देख रही थी  वो भी अब गंभीर दिखने का अभिनय करने लगी ।

जारा समैत सारे बच्चे साना की ही गलती मान रहे थे क्योंकि साना सबके हिस्से के फल छिपा कर हडप रही थी ।तार्षा ने जब वजह समझाई तब अम्बी ने साना को डांटकर फल वापस मंगवाए और सभी बच्चों को बाँटकर दे दिए ।

चूँकि साना ने गलती की थी उसको दंड स्वरूप एक भी फल नहीं मिला ।...