कासव
जानकी तैयार होते हुए मानव से कहती है..
"आज सारी रात हमें बीच पर ही रुकना पड़ेगा...
क्योंकि कछुए आज ही अंडे देने वाले हैं।"
मानव: आप पर्यावरणविद हैं या कोई वानिकी
या प्रकृति संबंधी कार्यकर्ता?
जानकी: मैं इनमें से कुछ भी नहीं हूं...
मानव: तो आप कछुओं के लिए क्यों काम करती हैं?
जानकी: ये जो कछुए हैं ना... ये डायनासोर से भी पुराने हैं। ये अपना पूरा जीवन पानी में ही गुज़ार देते हैं, बाहर आते हैं तो केवल अंडे देने के लिए।
अब क्योंकि ये अधिक समय तक पानी से दूर नहीं रह सकते इसलिए ना चाहते हुए...
"आज सारी रात हमें बीच पर ही रुकना पड़ेगा...
क्योंकि कछुए आज ही अंडे देने वाले हैं।"
मानव: आप पर्यावरणविद हैं या कोई वानिकी
या प्रकृति संबंधी कार्यकर्ता?
जानकी: मैं इनमें से कुछ भी नहीं हूं...
मानव: तो आप कछुओं के लिए क्यों काम करती हैं?
जानकी: ये जो कछुए हैं ना... ये डायनासोर से भी पुराने हैं। ये अपना पूरा जीवन पानी में ही गुज़ार देते हैं, बाहर आते हैं तो केवल अंडे देने के लिए।
अब क्योंकि ये अधिक समय तक पानी से दूर नहीं रह सकते इसलिए ना चाहते हुए...