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Hindi Essay : अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा
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कुछ साल पहले में अपने शहर से दूर, मेरे राज्य के एक दुसरे शहर में बतौर एक ग्राहक सुविधा कर्मचारी की उपाधि से कार्यग्रस्त था l मुझे उस दफ्तर में दो-दिन ही हुए थे और मुझे उस कम्पनी के सभी नियम मालुम नहीं थे l तभी अचानक, वहा के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने मुझे हिंदी और गुजराती (मेरी मातृ-भाषा) में बात करते सुन क्या लिए, उन्होंने तुरंत है मुझे टोकते हुए अंग्रेजी में कहा - “Please Speak only in English…No Other Languages…It's one of the rules of our company…”

सच बताऊं तो यह सुनकर मेरा ख़ून खौल उठा और में मन-ही-मन क्रोधित होके सोचने लगा की भारत के एक नागरिक को भारत में ही भारतीय भाषा बोलने से रोका जा रहा है, और तो और उसे यह भी कहा जा रहा है उसको बात सिर्फ अंग्रेजी में ही करनी पड़ेगी अगर उसे नौकरी करनी है तो l

तभी मुझमें ऐसी हिम्मत न थी के में उस महाशय का कानूनी तौर पे विरोध कर सकु, लेकिन आज में भारत में स्थित उन सब निजी - कम्पनी के ठेकेदार, जोकी भारत से मुनाफा ऐंठते है और जो अपने सभी कर्मचारी को केवल अंग्रेजी बोलने की ही मंजूरी देते है;

में इन सब से सिर्फ एक सवाल पुछना चाहता हु, की आप भारत के संविधान के कौनसे नियम के अंतर्गत अपने सभी कर्मचारिओं को दफ्तर के समय में सिर्फ अंग्रेजी बोलनेकी मंजूरी देते है? क्यों एक भारतीय नागरिक अपने देश की भाषा और अपनी मातृ-भाषा, अपने दफ्तर में नहीं बोल सकता?

में अंग्रेजी भाषा का अपमान और बहिष्कार नहीं कर रहा;

में सिर्फ इतना कह रहा हु की भारत की सौ से भी ज़्यादा भाषाओ में से अंग्रेजी भी एक भाषा है, और मेरी राय में कोई इंसान, जो की एक उद्योगपती है, और वह अगर अपनी कम्पनी के कार्यालय में अपने भारतीय कर्मचारियों को सिर्फ एंग्रीजी बोलने की अनुमती देता है, तो शायद यह नियम भारत के संविधान के हिसाब से गैर-कानूनी है I


© Kishan Trivedi

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