...

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सच्चे साथ की ज़रूरत
स्त्री....
तुम्हारी बदौलत ही पुरुष इस दुनिया में आता है और तुम्हें ही सहारा देने की कोशिश करता है।
वास्तव में तुम्हें किसी सहारे की ज़रूरत नहीं तुम्हें तो बस
सच्चे साथ की ज़रूरत है... सम्मान की ज़रूरत है
तुम्हें ज़रूरत है हल्के से धक्के की जिससे तुम अपने पंखों को फैलाकर उड़ सको।
तुम्हें ज़रूरत है किसी ऐसे हाथ की जो तुम्हारी बेड़ियों को खोलकर तुम्हें आज़ाद कर सके।
तुम्हें ज़रूरत है ऐसी आंखों की जो तुम्हें उड़ता देख तुमसे भी ज़्यादा खुश हो।
तुम्हें ज़रूरत है किसी ऐसे साथ की जो तुम्हें तुम्हारी असीम शक्तियां याद दिला सके।
तुम्हें नाही कल किसी सहारे की ज़रूरत थी, ना आज है और नाही कल पड़ेगी।
बस जिस दिन तुम्हें कोई साथ देनेवाला... तुम्हारा हाथ पकड़कर साथ चलनेवाला मिले उस दिन उसका हाथ थामकर आज़ादी से उड़ जाना।
© Sarika