प्यारी वैदेही (भाग - 2)
प्यारी वैदेही,
अम्मा की सब बातें तुम अगर मानती हो, तो ये भी मान लो, की नीम की साख से लटकी मईया की साड़ी से बने झूले पर मत झूला करो, मत जाया करो, किसी भी उजाड़ इलाके में, वो जानती हैं कि तुम समझदार हो, पर तुम्हारी मईया और बाबू जी के बाद तुम्हीं तो हो, जिसके लिए जी रहीं हैं वो,
तुम कहती हो वो प्यार नहीं करती तुमसे, पर तुम जानती भी नहीं, पिछली शाम पड़ोस वाली कमला चाची से तुम्हारी शादी के विषय में बात करते-करते आँखें छलक आईं थी उनकी, एक ही बात बार-बार कह रहीं थी, वैदेही के बाद, केकरे लिए जिअब, उहे तो है, जिकरे लिए खाना बनावत, कपड़ा सिअत दिन कटत है, उकरी शादी के बाद हम का करब,
तुम ही सोचों गर वो तुम्हें प्यार ना करती तो, क्यों देती इतना लाड प्यार तुम्हें, उनके मन के डर को समझो ना वैदेही, तुम जब भी पैरों को लंबी फ्रॉक के भीतर छिपाती हो, वो समझ जाती है, की तुमने आज फिर महावर लगाया है, यूँ तो कम नज़र आता है उन्हें, पर तुम्हारे पास से आती खुशबू, उन्हें तुम्हारे संवरने की बात कह जाती है, पर नहीं टोकती वो तुम्हें, जानती हैं, तुम पसन्द नहीं करती उन्हें,
पिछले दिनों जब तुम अपनी काकी के घर, दीवाली मनाने गई थी ना, तब अम्मा तुम्हारी फ्रॉक को गले से लगाये घुमा करती थी, उसमें से तुम्हारी खुशबू जो आती है, अम्मा कभी नहीं कहेंगी पर वो चाहती हैं, तुम्हें जैसे मैं चाहता हूँ, सोचता हूँ कह दूँ अम्मा से की तुम्हारा ब्याह मुझसे करवा दें, फिर तुम दिनभर उनके आस-पास रहोगी और तुम्हें भी कभी अम्मा से दूर नहीं होना पड़ेगा, बोलो कह दूँ क्या,
तुम्हारी अम्मा का राजदार - मैं
© अल्फ़ाज़ ही आवाज़ है (Raj)
#Love&love #life
अम्मा की सब बातें तुम अगर मानती हो, तो ये भी मान लो, की नीम की साख से लटकी मईया की साड़ी से बने झूले पर मत झूला करो, मत जाया करो, किसी भी उजाड़ इलाके में, वो जानती हैं कि तुम समझदार हो, पर तुम्हारी मईया और बाबू जी के बाद तुम्हीं तो हो, जिसके लिए जी रहीं हैं वो,
तुम कहती हो वो प्यार नहीं करती तुमसे, पर तुम जानती भी नहीं, पिछली शाम पड़ोस वाली कमला चाची से तुम्हारी शादी के विषय में बात करते-करते आँखें छलक आईं थी उनकी, एक ही बात बार-बार कह रहीं थी, वैदेही के बाद, केकरे लिए जिअब, उहे तो है, जिकरे लिए खाना बनावत, कपड़ा सिअत दिन कटत है, उकरी शादी के बाद हम का करब,
तुम ही सोचों गर वो तुम्हें प्यार ना करती तो, क्यों देती इतना लाड प्यार तुम्हें, उनके मन के डर को समझो ना वैदेही, तुम जब भी पैरों को लंबी फ्रॉक के भीतर छिपाती हो, वो समझ जाती है, की तुमने आज फिर महावर लगाया है, यूँ तो कम नज़र आता है उन्हें, पर तुम्हारे पास से आती खुशबू, उन्हें तुम्हारे संवरने की बात कह जाती है, पर नहीं टोकती वो तुम्हें, जानती हैं, तुम पसन्द नहीं करती उन्हें,
पिछले दिनों जब तुम अपनी काकी के घर, दीवाली मनाने गई थी ना, तब अम्मा तुम्हारी फ्रॉक को गले से लगाये घुमा करती थी, उसमें से तुम्हारी खुशबू जो आती है, अम्मा कभी नहीं कहेंगी पर वो चाहती हैं, तुम्हें जैसे मैं चाहता हूँ, सोचता हूँ कह दूँ अम्मा से की तुम्हारा ब्याह मुझसे करवा दें, फिर तुम दिनभर उनके आस-पास रहोगी और तुम्हें भी कभी अम्मा से दूर नहीं होना पड़ेगा, बोलो कह दूँ क्या,
तुम्हारी अम्मा का राजदार - मैं
© अल्फ़ाज़ ही आवाज़ है (Raj)
#Love&love #life