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प्यार बातो नफ़रत नहीं
एक बार दो बहुमंजिली इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बाँस पकड़े एक नट चल रहा था, उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बैठा रखा था।

सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे। सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगा उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली,‌ भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगीं। लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, उसके साथ सेल्फी ले रहे थे, उससे हाथ मिला रहे थे।

फिर थोड़ी देर बाद वो कलाकार माइक पर आया और भीड़ से बोला :

क्या आपको विश्वास है, कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ। भीड़ चिल्लाई हाँ हाँ, तुम कर सकते हो। उसने पूछा, क्या आपको विश्वास है, भीड़ चिल्लाई हाँ पूरा विश्वास है, हम तो शर्त भी लगा सकते हैं, कि तुम सफलतापूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो।

कलाकार बोला, पूरा पूरा विश्वास है ना।

भीड़ बोली, हाँ l

कलाकार बोला, ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे, मैं उसे अपने कंधे पर बैठा कर रस्सी पर चलूँगा।

पूरी भीड़ में खामोशी, शांति, चुप्पी फैल गयी।
कलाकार बोला, डर गए, अभी तो आप सब को विश्वास था कि मैं कर सकता हूँ।
जब आप का बच्चा मांग लिया तो चुप हो गया..??

ठीक बिलकुल इसी तरह दंगे करवाने वाले लोग कभी अपने बच्चों को दंगों में नहीं भेजते.....! आपको उकसाते है......आपके बच्चों को मरने भेजते हैं..!!!
आप अर्थात जनता अपने विवेक से खुद सोचिए, उनके जोशीले नारों में आकर मरने मत जाइए।

प्यार बाटो नफरत नही
🙏🙏🙏🙏🙏