पैग़ाम
जिंदगी कब कैसे क्या मोड़ लेगी हमे पता नहीं होता। हर एक दिन एक नये जज़्बात नई शुरुआत ले के आता है। वक़्त के साथ साथ कुछ यादें बस पीछे छुट जाती है और हम आगे बढ़ जाते है।
कुछ बचपन की यादें कही तहखाने मे पड़े...
कुछ बचपन की यादें कही तहखाने मे पड़े...