...

3 views

सच्चा धर्मनिष्ठ
@HITSR
सच्चा धर्मनिष्ठ
नरोत्तम सेठ ने आज कहीं व्यस्त होने के कारण ईंट भट्टे पर फिर अपने बेटे को ही भेजा था ।

बेटे का मन क़भी भी भट्टा पर नही लगता , जिसके कारण वह अक्सर ग्राहकों से उलझ जाता था , जबकि नरोत्तम सेठ चाहते थे कि अब वह अपना अधिक से अधिक समय भट्टा पर दे जिससे वो अपने पुस्तैनी व्यवसाय में दक्ष हो सके।

अभी उनका बेटा आकर अपने केबिन में बैठा ही था कि मुनीम आ गया-" भईया जी एक बुजुर्ग फटी-पुरानी पर्ची लेकर आया है और दस हजार ईंट मांग रहा है।"

"क्या मतलब..!" बेटे ने पूछा ।

"कह रहा है कि सन उन्नीस सौ अड़सठ में पन्द्रह रुपया हजार के भाव से उसने दस हजार ईंट का दाम एक सौ पचास रुपया जमा किए थे जो आज लेने आया है।"

"दिमाग...