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सुखद सुहागरात की कहानी p2
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सुबह जब मैं उठी, तो मेरी जांघों में तेज दर्द था और चूत में भी दर्द का अहसास हो रहा था। लेकिन इसके बावजूद, मेरी चूत की आग बुझी नहीं थी। यह रात हमारे लिए बेहद खास और यादगार थी, और मैं उस आनंद को फिर से महसूस करना चाहती थी। रवि भी पूरी तरह से तैयार था और वह भी इस खुशी को और बढ़ाना चाहता था।

रवि ने जब देखा कि मैं जाग चुकी हूँ, उसने प्यार भरी मुस्कान के साथ mujhe banhon main bhara aur मुझे गले लगाया। उसकी छूने से ही मेरे शरीर में फिर से वही उत्तेजना की लहर दौड़ गई। उसने धीरे-धीरे मेरे चेहरे को चूमा और फिर मेरे होंठों पर गहरा चुंबन लिया। उसकी गर्म सांसें मेरी त्वचा पर महसूस हो रही थीं और मेरा दिल फिर से तेज धड़कने लगा।

रवि ने मुझे बिस्तर पर धीरे-धीरे लिटाया और मेरे शरीर को फिर से अपने हाथों से प्यार करना शुरू किया। उसने मेरे स्तनों को चूमा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसकी हर छुअन से मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी। मैंने भी अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ा और उसे हल्के-हल्के से शलाना शुरू किया। उसका लंड फिर से बड़ा और कड़क हो गया था।

रवि ने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी चूत के पास लाकर अंदर डालना शुरू किया। उसकी हर धक्का मुझे और भी आनंदित कर रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई और मेरी चूत में धक्के मारता रहा। उसकी हर...