...

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गंदगी हमारे भीतर है
बात अभी अभी की है। दो दोस्त एक उच्च वर्ग और दूसरा नीची जाति का, काफ़ी क़रीब एक दूसरे के।
एक दूसरे की दर्द तकलीफ़ को समझना बिना कहे, हर तकलीफ़ बाँटना।
हुआ यूँ कि बात तो सब ठीक ही चल रही थी कि एक दिन नीचे वर्ण के आदमी ने अपने सोशल मीडिया पर बाबासाहेब आंबेडकर जी की तस्वीर लगा दी, ये देख अब दूसरे को तकलीफ़ हुई।
स्वतंत्र भारत में भाई विचारों की अभिव्यक्ति की भी स्वतंत्रता है ये सोचकर, ये बात दूसरे को पची नहीं।
अब बात आती है दोस्ती पर, कि हो सके तो ये फोटो हटा दो, अरे भाई ये क्या,
अब तुम्हें अगर ना पसंद हैं तो ना सही, मगर हमारे तो मसीहा हैं ये।
और यही अगर हम तुम्हें कहें कि तुम्हारे माँ पिताजी के विचार हमें पसंद नहीं तो क्या तुम अपने माँ बाप बदल दोगे?
भैया नहीं होता ऐसा,
आप अपने विचार रखें और सबको रखने दें।
तभी जी पाओगे, ऐसा नहीं कि सही सिर्फ तुम ही हो आदिकाल से
और इतना सही हो तो हमारे बाबासाहेब अकेले ही थे तब , तब तुम उन्हें ग़लत साबित कह लेते।
सच को स्वीकारना सीखो,
जाति से दिक्कत नहीं हमें, जातिवाद से दिक्कत है यारा।

💙जय भीम नमो बुद्धाय 💙🙏
© khwab