गुरु और मैं मयखाने पर
वैसे तो मैं वैसे तो मैं हर अजनबी को भी अपना मानता हूं उसके जो भी राज हैं उन्हें जान पर खेल कर भी राज भी रहने देता हूं पर एक बार आज छुपाना जो हकीकत है उसे पर्दों पर दबा नासा का एक बार की बात है मुझे कॉलेज में एडमिशन के लिए जरूर चाहिए सही गुरु और मार्गदर्शन की कि मैं आगे अपने भविष्य का निर्धारण किस क्षेत्र में करूं तब मैं पहुंच एक अजनबी शहर पर जहां कुछ लोगों की मदद से मिले मुझे एक शिक्षक और मैं उनसे बातें करना पहुंच गया 10:11 बजे की रात तक फिर थोड़े...