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मुझे चुना है इसने
मुझसे आए दिन एक सवाल पूछा है लोगों ने की आपने ये जॉब क्यों चुनी,
हालाकि अभी तक मुझे समझ नही आया की क्या जवाब दूं। बात ये है की मुझे ये सवाल समझ नही आया कई बार।
मेरी जॉब में ज्यादातर पुरुष हैं तो, एक लड़की के लिए किसी ऐसे फील्ड में काम करना जहां पुरुषों का बोल बाला है अपने आप में एक सवाल हैं।
पहले खुद सीनियर्स का ये सवाल रहा।
शुरुआत के एक दो साल ये सवाल बहुत ज्यादा परेशान करता रहा।
उस पर से लोगों का लड़की और ट्रेन चलाने की बात से ही एक जजमेंटल नजर चुभती रहीं।
बहुत से सुझाव आए दिन मिल जाते हैं।
ज्यादातर इस जॉब में उत्तर प्रदेश और बिहार के पुरुष हैं।
जिन्हें औरतों को बस चूल्हे चौके तक देखना गवारा है और आगे बढ़े भी तो औरत सुबह सबका खाना नाश्ता बना कर स्कूल जाए, इनकी नजरों में औरत बस एक ही जॉब करनी चाहिए वो है टीचर का जिसमे वो सुबह जाए और वापस शाम तक आ जाए घर सम्हालने के लिए।
जी घर सम्हालना सिर्फ औरत के हिस्से आया है अक्सर।
बहुत सारे सुझाव और सवाल के बाद सोचा और आज लिख रही हूं बताने के लिए की दरअसल मैने नहीं चुना इस जॉब को,
इस जॉब ने मुझे चुना है और मुझे इसका चुनाव सही लगा इसलिए इसी की हो गई।
फिर लगा ही नहीं की मेरे लिए इससे बेहतर कोई और काम हो सकता है।
हां बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है आए दिन।
महीने के आधे दिन तो घर पर होती नहीं हूं।
अक्सर रातें किसी लाल सिग्नल के हरे होने के इंतजार में कटती हैं।
सर्दी गर्मी बरसात आंधी तूफान कुछ भी हो, ट्रेन नही रुकती और साथ में नही होती हमें भी रुकने की इजाजत।
पर इस सब के बावजूद वो क्या है ना यार! प्यार हो गया है मुझे इन सब से।
तो इश्क मुश्किल ही सही अब तो हो गया है।