मैं खुदसे मिली
मैं खुदसे मिली
छाता हाथ में लेकर वो बारिश से लड़ती
चली आ रही थी एक लड़की अपने सपनों से झगड़ती
सुना है अपने ख़यालों में खोई रहती
वो चंचलं हंवासी आझाद परिन्दी
कभी उड़ जाती पंछियों के साथ
कभी तितलियों को पकड़ लेती हाथ
हर सुबंह उसकी मुस्कान...
छाता हाथ में लेकर वो बारिश से लड़ती
चली आ रही थी एक लड़की अपने सपनों से झगड़ती
सुना है अपने ख़यालों में खोई रहती
वो चंचलं हंवासी आझाद परिन्दी
कभी उड़ जाती पंछियों के साथ
कभी तितलियों को पकड़ लेती हाथ
हर सुबंह उसकी मुस्कान...