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क्या स्त्रियां आज भी आजाद है?
बहुत सुना बहुत पढ़ा की अब स्त्रियां आजाद है
वो अपने मन का कर सकती है
पर आज भी ऐसे बहुत लोग है
जो स्त्रियों के ऊपर अपनी इच्छा थोपते है
तुम ऐसे कपड़े मत पहनो
तुम बाहर अकेले घूमने मत जाओ
तुम सुबह जल्दी उठो फिर चाहें
तबियत ही खराब क्यों ना हो
तुम अगर जॉब करोगी तो घर कौन संभालेगा
मेरे माता पिता की सेवा कौन करेगा
बच्चों को कौन देखेगा
अरे ये सब बातें एक स्त्री ही क्यों सोचे
क्या पुरुष का फर्ज नही बनता है कि
वो भी ये सोचे कि एक स्त्री ही क्यों
हम क्यों नही कर सकते है ये सब
बस कहने को है कि स्त्रियां आजाद है
पर दरसल तो वो पुरुषों की सोच में कैद है
भले ही स्त्री पढ़ी लिखी हो पर करना उसे वही
है जो एक पुरुष चाहता है
अगर वो उसका कहना मानती है तो बहुत अच्छी है
और अगर वो नही मानती है तो वो बहुत खराब है
आज भी कई ऐसे पुरुष है जो स्त्रियों को कठपुतली
की तरह नाचना चाहते है बस और कुछ नही
इस लिए सोच बदलने की जरूरत है
ना कि आजादी क्यों कि अगर सोच बदलेगी
तो आजादी अपने आप मिल जाएगी
उनको भी जीने का मौका दीजिए आप लोग
खुल कर जीने दीजिए उनको भी
जो जी चाहें करने दीजिए फिर आजादी का असली
मतलब उनको भी पता चलेगा
उनकी भावनाओं की कदर करो और उनको भी जी
लेने दीजिए 🙏🙏


@kanchu tiwari