एक टुकड़ा साहस
टूट कर फिर से , मुस्कुराने की काबिलियत ही इंसान को और काबिल बनाती है ।
तू सोच न बीते कल को,
तू तोल न अपने गम को,
तू सोच रास्ता है कितना ,जो बढ़ने से तुझको है रोका ।
तू तोड़ दे उन रिश्तों को,जो जलती पीड़ा में तुझको...
तू सोच न बीते कल को,
तू तोल न अपने गम को,
तू सोच रास्ता है कितना ,जो बढ़ने से तुझको है रोका ।
तू तोड़ दे उन रिश्तों को,जो जलती पीड़ा में तुझको...