तेरी-मेरी यारियाँ! ( भाग-26 )
देवांश :- हँसते हुए,,, क्योंकि तेरे हिसाब से फोन मैं ज्यादा चलाता हूँ और दिखाई तुझे नही दे रहा,,, ओह्ह,, नही गलत बोल दिया बल्कि तुझे तो कुछ ज्यादा ही दिखाई देता है।
देवांश की बात सुनकर पार्थ जैसे ही पीछे मुड़कर देखता है उसे वाणी और निवान अपने पीछे नज़र नही आते पार्थ जब ईधर ऊधर देखता है तो पार्थ को वह दोनो ही गीतिका और मानवी के साथ बैठे नज़र आते हैं।
पार्थ गीतिका और मानवी को पार्क मे बैठा देख खुश हो जाता है और भाग कर उनके पास चला जाता है एक और देवांश पार्थ को आवाज लगाता रह जाता है।
लेकिन पार्थ देवांश की बात सुने बिना ही वहा से चला जाता है और वो जैसे ही उन सभी के पास पहुँचता है पार्क की जमीन पर बैठते हुए उन सभी से बोलता है।
पार्थ :- नीचे जमीन पर बैठते हुए,,,,,क्या बात है, आज की सुबह तो बड़ी ही अच्छी है सब एक साथ ही पार्क मे...
देवांश की बात सुनकर पार्थ जैसे ही पीछे मुड़कर देखता है उसे वाणी और निवान अपने पीछे नज़र नही आते पार्थ जब ईधर ऊधर देखता है तो पार्थ को वह दोनो ही गीतिका और मानवी के साथ बैठे नज़र आते हैं।
पार्थ गीतिका और मानवी को पार्क मे बैठा देख खुश हो जाता है और भाग कर उनके पास चला जाता है एक और देवांश पार्थ को आवाज लगाता रह जाता है।
लेकिन पार्थ देवांश की बात सुने बिना ही वहा से चला जाता है और वो जैसे ही उन सभी के पास पहुँचता है पार्क की जमीन पर बैठते हुए उन सभी से बोलता है।
पार्थ :- नीचे जमीन पर बैठते हुए,,,,,क्या बात है, आज की सुबह तो बड़ी ही अच्छी है सब एक साथ ही पार्क मे...