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Sapno ki udaan? ya bhi gharelu soch
Sapno ki udaan ? Ya

Bhi gharelu soch



एक परिवार था। जिसमें सास-ससुर, उनके दो लड़के आशीष और अखिल, इनकी एक-एक बेटी थी। जिनका नाम नीलम और प्रेरणा था। आशीष और अखिल दोनों खेती-बाड़ी करते थे। उनकी पत्नियां शीतल और पिंकी दोनों घर को संभालती थी।


नीलम और प्रेरणा दोनों 4 साल की थी। मोहल्ले के लड़कों को स्कूल जाता देख इनका भी मन होता था कि ये भी स्कूल जाए लेकिन बेटी होने के कारण उन्हें हमेशा घर के काम करने के लिए कहा जाता और पढाई के नाम पर इन्हें केवल घर पर ही पढ़ा लिखा दिया जाता।


सास ससुर के डर से शीतल और पिंकी अपनी बेटी की पढ़ाई लिखाई के लिए कुछ कह नहीं पाती थी और जिसके कारण बेटियों को हमेशा यही सुनने को मिलता कि तुम्हारी मां कभी स्कूल गई है जो तुम जाओगी… लेकिन इस पर अखिल की सोच ऐसी नहीं थी वह अपनी बेटी को पढा़ना लिखाना चाहता था और कुछ बनाना चाहता था। उसका सपना था कि वह अपनी बेटी को डॉक्टर बनाएं।


एक दिन अखिल के खेत जाते समय उसका एक्सीडेंट हो जाता है और हॉस्पिटल ले जाते समय उसकी मौत हो जाती है और जब यह सब उस की पत्नी पिंकी को पता चलता है तो उसे जैसे सदमा सा लग जाता है। उसे कुछ समझ नहीं आता कि उसका और उसके बच्चों का क्या होगा।


अखिल के चले जाने के बाद पिंकी के साथ उसको और उसकी बेटी प्रेरणा को घर से निकाल देती है। पिंकी के बार बार कहने पर...