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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में पात्रों के महत्वपूर्ण स्तंभ की अलौकिकता।।
ये गाथा एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और एक अन्य की जिसमें वह अपने अस्तित्व के लिए अपनी इज्जत त्याग बलिदान मूल्य समर्पण त्याग मूल्य पर खेल जाती है मगर अन्त में उससे कुछ हासिल नहीं हो सकता है क्योंकि वह अपना अस्तित्व कलियुग में नहीं पा सकती है इसलिए वह अन्त तक प्रयास करती ही रहेगी क्योंकि यही उसके स्तंभ की अलौकिकता की आसीमता है जो खुद का त्याग कर समय निर्माण करतीं हैं इसलिए उससे बड़े स्वयं श्री हरि विष्णु भी नहीं मगर दुनिया व श्रृष्टि का सार श्री हरि विष्णु ही इसलिए वह हर योनि में अपने स्तंभ की अलौकिकता के लिए संघर्ष कर रही है इसलिए उसे हम इस गाथा की नायिका तथा लेखिका घोषित करते हैं, और इस
साथ ही हम उसके स्तंभ का उल्लेख करते हैं।।
पात्र- लैसवी हैयास
योगिता -लेखिका नायिका
संघर्ष -भव्यमयी यात्रा
स्तंभ -अस्तिवनिकाहीन।।🕯️
नायिका स्पेशल 🕯️🪔🥃💋💔-उसके उसके स्तंभ के बारे में जानने से पहले हम आपको उसके स्तंभ पर रखे जाने वाले नाम बताते-पहला नाम- लैसवी हैयास स्तभवीं,सतभिका,अशुभिका, नाशवाहिनी,अकाल विकराल प्रलयवाहिनी।।
नायिका के स्तंभ का आकार एक समाधि के भाति देखता जिसकी कीमत लगभग २०अरब की थी क्योंकि वह हीरा से बनी श्रृंखला का समाहार था जिसमें उस वेशया के शुरू अंतिम तक वर्णन किया गया।। और इसके साथ ही कृष्णानंद का भी समाधि स्तंभ दिखा जो कि कालचकृ द्वारा ग्रस्त होकर रोगिन योनि का शिकार हो कर भेड़िया की श्रेणी में जन्म लेकर उसी की प्राणाली में दाखिल कराया गया है।।
तथा पिता की समाधि स्तंभ जो कि कालचकृ के प्रभाह में विलीन होते हुए देखी थी क्योंकि लेखक कहता की नायिका के पिता जी बहुत महान् कार्य पद पर कार्यरत थे इसलिए उनके कर्मों व कुसलता को देखते हुए उन्हें कालचकृ में परिवर्तन कर दिया गया है तथा मां को भमृणकारी भ्रमणयौगिका का अवतार मिला ताकि वह अन्त भटक कर दंडित होती रहे।।
तथा उसकी सेकेट्री को किसी के पाव की आसीमता बनकर शर्मशार होना पड़ा और उसका मित्र भ्रमण नाडरी बनकर अपने द्वारा किए गए कर्म को भोगतना ही पड़ेगा।।
इस गाथा में सभी पात्रों का उल्लेख व प्रातः से अन्त तक सभी प्रात्रो का उल्लेख हुआ मगर इसमें उस नायिका के रूप के स्तंभ कोई वर्णन नहीं हुआ क्योंकि जो श्री हरि विष्णु का शत्रु को अपना शत्रु बताए उस जैसी मूर्खता का कोई महत्व व स्थाई अस्तित्व नहीं हो सकता है तथा
उसकी कोई असीमता नहीं देखने को मिलती हैं।
इसलिए यह गाथा अनन्त होकर निर्विघ्न चक्र से निरंतर जारी रहेगी🙏।।
#आलौकिकता🪔🕯️✏️
सर्वप्रथम सर्वोपरि परम पूज्य महाशक्ति 🙏🙏