...

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Vyarth Hi Hum Bus kuch pareshani ko Bulate Hai
व्यार्थ ही कभी और सय्यद बहुत बार हम परेशनी को खुद ही अपने जीवन में बुलाते हैं कभी व्यार्थ ही हम किसी अंजान व्यक्ति को अपना समझने की भूल कर देते हैं तो कभी व्यार्थ ही हम ओवर थिंकिंग करके अपने ही दिमाग को विभिन पारकर की परेशानी से खुद को माइग्रेन तनाव, चिंता जैसी बीमारी से परेशान करते हैं।
व्यार्थ ही कभी अपने दिल को दुखते कभी किसी से अटैच हो जाते हैं अपने माता पिता का दिल व्यार्थ ही हम दुखते हैं।
व्यार्थ ही कहीं हम खुद को रुलाते हैं जीवन के चक्कर में कहीं इस जिंदगी को फसाते हैं
जीवन को हम कभी हम नहीं समझते हैं कभी अपने जीवन को कुछ समझ नहीं पाते व्यार्थ की बातों से कहीं अपने माता पिता को रूलते है।व्यार्थ ही कही हम
Kahi ulajh Jaate Hai
sayad.
khud pra vishwas nahi kar paate
hai
par jeevan ka naam hi badlaav hai
aur Aage badhna
Isse vyarth barbaad na kare
choti choti baaton PR mata pita
ka dil Vyarth na tode .