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मेरा वर्षा दिवस
जब मैं छोटी थी तब मन में अक्सर एक शिकायत सी रहती थी कि कभी हमारा वर्षा दिवस क्यों नहीं होता, जैसे ही स्कूल के लिए जाने का समय होता है तो बारिश क्यों रुक जाती है, इसी बहाने छुट्टी नहीं कर पाती थी!

मग़र एक दिन ऐसा सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ....
आगे जानने के लिए आईये पढ़ते हैं ::----
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स्कूल में परीक्षा का पहला दिन, अंग्रेज़ी विषय का पेपर था!
सुबह से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी, थमने का दूर-दूर तक कहीं कोई नामोनिशान नहीं था! परीक्षा थी इसलिए छुट्टी नहीं ले सकती थी, जाना आवश्यक था!

जैसे तैसे बारिश कुछ कम हुई, मूसलाधार से रिमझिम में जैसे ही अपना रूप बदला, मैंने स्कूल की तरफ़ रूख़ किया, तेज़ कदमों से आगे बढ़ने लगी!

स्कूल पहुँचते ही भयंकर मेघ बरसने लगे, यूँ लगा मानों उनकी परीक्षा है, और परीक्षा देने का बिल्कुल मन नहीं है, नाराज़ हो रहे हैं!

तिरछी बरसात की फुहारों की वज़ह से सारा पानी कक्षा में तेज़ी से भरने लगा, बहुत कम बच्चे स्कूल आ पाये थे, सभी अपने पैर ऊपर करके बेंच पर बैठ गए!

स्थिति ख़राब होती देख, प्रिंसिपल महोदया जी ने परीक्षा रद्द करके, स्कूल की छुट्टी की घोषणा कर दी! जल्दी छुट्टी हो जाने की वज़ह से सभी बहुत ख़ुश थे!

बाहर निकली तो देखा हर ओर सब कुछ जलमग्न था, एक तरफ़ पूरी तलैय्या जैसी बनी हुई थी और दूसरी तरफ़ से पानी ऐसे बहता हुआ आ रहा था जैसे भोलेनाथ की जटाओं से भागीरथी... समझ नहीं आ रहा था कि दाँये जाएँ या बाँयें!
हिम्मत जुटा कर दाँयी ओर बढ़ने का मन बनाया, बस्ता कमर पर अच्छी तरह से पूरी पकड़ से बाँध कर धीरे धीरे जलधारा से विद्रोह करते आगे बढ़ने लगी, पानी पूरे गले तक भरा हुआ था, कुछ भी भीगने से बचाया नहीं जा सकता था, बस किसी तरह मुँह ऊपर किये नाक बचा रही थी कि साँस ले सकूँ!

ऐसा प्रतीत होता था, मानों पोखर में चारों तरफ़ गाय भैंसें तैर रही हैं, सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे!

अचानक पीछे से एक आवाज़ आई, "सुधा तेरा बस्ता पानी में पीछे बह गया!" हड़बड़ाहट में कंधे पर नज़र डाली तो बस्ता नदारद, पानी की वजह से पता ही नहीं चला! अब कहाँ ढूँढ़े इस गंगा मैय्या की धार में, और समस्या! जैसे ही पीछे की ओर मुड़ी तो देखा मेरी एक सहेली मेरा बस्ता लेकर बमुश्क़िल तैर कर आ रही थी! हम दोनों बहुत ख़ुश थी, ऐसे जैसे उसने कुछ जीत लिया हो और मैंने सबकुछ पा लिया हो! अपना बस्ता लेकर जल्दी जल्दी जलगंगा पार की और भीगी हुई घर पहुँची!

इस तरह मेरा वर्षा दिवस भरपूर रोमांचक रहा!


© सुधा सिंह 💐💐