ना मन्नत का धागा काम आया..ना मजार की चादर
मैंने देखा है अनगिनत कसमो को टूटते हुए..
जिसमे सिर्फ दिलो को मरते देखा है और
मोहब्बत करने वालो को अपनी ही लाशों को पालते हुए देखा है..!!!
क्या खुदगर्जी _क्या बदकिस्मती ...
कुछ नही होता जब किस्मत है अपनी जिद पर अड़ती..!!
हम बस खुद को ही तसल्ली के नीचे दबा देते है..!!
और हाथों की टूटी फूटी लकीरों पर इल्जाम लगा देते हैं....!!
एक वक्त आता है जब हम किसी के लिए हर वो कोशिश करते है इसलिए की बस वो रह जाए हमारे पास..पर...
सच कहूं तो
यहां कान्हा भी आंसू बहाया है..🍁🍁🍁🍁🍁
यहाँ राधा ने भी तड़प को सहा है...🍁🍁🍁🍁🍁
तो मैं क्या तुम क्या...
अरे मैं...
जिसमे सिर्फ दिलो को मरते देखा है और
मोहब्बत करने वालो को अपनी ही लाशों को पालते हुए देखा है..!!!
क्या खुदगर्जी _क्या बदकिस्मती ...
कुछ नही होता जब किस्मत है अपनी जिद पर अड़ती..!!
हम बस खुद को ही तसल्ली के नीचे दबा देते है..!!
और हाथों की टूटी फूटी लकीरों पर इल्जाम लगा देते हैं....!!
एक वक्त आता है जब हम किसी के लिए हर वो कोशिश करते है इसलिए की बस वो रह जाए हमारे पास..पर...
सच कहूं तो
यहां कान्हा भी आंसू बहाया है..🍁🍁🍁🍁🍁
यहाँ राधा ने भी तड़प को सहा है...🍁🍁🍁🍁🍁
तो मैं क्या तुम क्या...
अरे मैं...