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A AaRAv step _ Azkan
یا رحمان ، وہی پاک ذات ہے جسنے سارے جہاں اور ملکوں کو بنایا اور اُسی کی قدرت سے یہ سارا نظام چل رہا ہے ۔ میں اُسی مالك کا نام سے شروع کرتا ہوں ۔

अज़कान ,

• " आरव श्रेष्ठ लिहास के साथ श्वेत प्रकाश के विषय में चर्चा कर रहे थे । "
' ऐसी प्रकाश पुंज जिसके दर्शन मात्र से प्रत्येक विकार दूर हो जाए , तेजाश्व ऐसा की महा माया भी हीन भाव सी लगे ! शक्ति और स्तर की प्राप्त करने वाले को पूर्णतः इच्छा शक्ति पर नियंत्रण ही रख दे । उसका विवरण आसमान्य अवश्य है किंतु उसका मार्ग केवल 3 पगो का ! '

निनाद ( महा मंत्री )- ( आश्चर्य चकित हो प्रश्न करते है ) अर्थात् आरव श्रेष्ठ, शक्ति पुंज की विशेषता इतनी असाधारण और दिव्य । और प्राप्त द्वार की दूरी केवल 3 पग ?

नयन ( शक्ति संरक्षक )- कदापि आरव श्रेष्ठ का संकेत किसी अन्य दिशा में है !
जिसका मूलतः हमे भान नहीं ।

_कृपया आरव यह पहेली हमारे समक्ष उजागर करे ।

आरव शक्ति के विषय में और विशेषता व्यक्त करते हुए कहते है की -
" श्वेत प्रकाश पुंज , जिसका निर्माण चंद्र के निर्माण के समय उसकी ऊर्जा से हुआ है । ऐसी आसामन्य शक्ति जिसका लालसा सदियों से प्रत्येक को है वर्तमान तक उस शक्ति पुंज को किसी ने देखा भी नहीं ! "

आरव - एक कारण यह भी है , उस श्वेत प्रकाश की रक्षा स्वयं परम ईश्वर ने आर्फेज समूह को दिया है । जिसकी शक्तियां स्वतः द्वितीय लोक से आयाह लहर द्वारा निर्धारित है ।


_ एक ऐसी आकल्पीन्य ईश्वरीय वर जो प्रत्येक की इच्छा शक्ति से अवरूद्ध है । किंतु जब तक रहस्य महा माया के स्वामी तक सीमित हो तो श्रेष्ठ , कदापि आरव श्रेष्ठ को इस बात का पूर्णतः भान था की उपस्थित सभा में कौन - किस मनसा से है कार्यरत
है ।

" श्रेष्ट की दिव्य सभा संपन्न हुई । "


• " आर्फेज का समूह निवास करते है , वामिनो की आयाह लहर के निकट गुप्त मार्ग से प्रस्तुत होते हुए मार्गो में । उन्हे दिव्यता का वर है, शक्तियां प्राप्त है श्रेष्ठ परमेश्वर से । कदापि उनका सृजन

• आर्फेज समूह में स्वयं ही कई समस्याएं जन्म ले चुकी थी । वह समूह जिसका चयन स्वयं परमेश्वर द्वारा शक्ति संरक्षण के लिए था , वह समुदाय आपस की ही बैर से बाध्य होता जा रहा था ।

" आर्फेज के उपयुक्त मुखिया श्रेष्ठ अन्यान का स्वस्थ पूर्णतः असंतुलित था । जिसके कारण प्रत्येक की हीन दृष्टि मुखिया पद की ओर थी । "

_ श्रेष्ठ अन्यान पुत्र कनव पूर्णतः सज्ज़ नही थे , आर्फेज नियति निर्धारक पद और इतने विशाल दायित्व हेतु

• " उनकी माता का निधन दशक पहले ही हो चुका था और अब पिता की ऐसी अवस्था यह कनव श्रेष्ठ के लिए मृत्यु स्तर समान ही थी । और सभी उनकी इस अवस्था को सहायक पद स्वरूप उपयोग कर रहे थे ! "
मुखिया पद और अनंत शक्ति की प्राप्ति के लिए ।


" _श्रेष्ठ कनव के ' मामा श्री अन्मय ' ने आरव की ओर दूत भेजा की , आर्फेज को आरव की आवश्कता है , कदापि उतराधिकारी के अतिरिक्त कोई और इस आसन पर विराजमान हुआ तो संसार कल्याण और नियति चक्र तनिक बाधित होने की शंका है । "


° अन्मय - यह संदेश किसी भी प्रकार वामिनों रचैयता तक पहुंचना और उनसे विनम्रता से कहना पूरा समुदाय और सत्य आपकी प्रतीक्षा कर रहा है ।
" कदापि संभव हो सकता है कि उनके समक्ष इससे अधिक महत्वपूर्ण चर्चा या कार्य हो किंतु उनके आगमन स्वरूप पुनः आर्फेज समूह में न्याय और शक्ति की स्थापना संभव होगी । "

_ मामा श्री का समाचार ले , दूत गुप्त द्वार द्वार अयाह लहर के रास्ते वामिनों मुख्य महल की और अग्रसर होते है। किंतु संदेश का भान अजवां को हो चुका था ओर वह इस प्रयास में लगा की किसी प्रकार आरव तक समुदाय को बात ना पहुंचे ।

{ अजवां यह कबीले में उपस्थित शक्ति के संतुलन का कार्य करता था । इसी कारण उसे श्वेत प्रकाश शक्ति पुंज के विषय में अन्य से अधिक जानकारी थी । किंतु उसे यह भी ज्ञात था कि वह ऐसा रहस्य है स्वताः ही खोला नही जा सकता है इसीलिए मुखिया पद आवश्यक है । और मुखिया अन्यान के स्वास्थ्य के कारण उसे यह स्वर्ण अवसर दिखाई दिया की वह अपने पथ पर किस प्रकार अग्रसर हो । }


• आरव को श्वेत प्रकाश के लिए उपयुक्त धारक की खोज थी जिसके कारण भविष्य में भी वह पूर्णतः सुरक्षित रहे । और माया या वास्तविक लालसा से अनभिज्ञ रहे ।
" आरव ने चयन किया , अजकान का ! " - श्वेत शक्ति पुंज के लिए ।


• प्रत्येक से दूर , संसार के दूसरे भाग में अपनी वास्तविकता से अज्ञात शक्तियों का स्वामी " अज़कान " दूसरी ही माया में मग्न
थे । जिसका चयन माया के स्वामी आरव ने किया और जो स्वयं सहायक बनेगा भविष्य में श्रेष्ठ कनव के । वास्तव में शक्ति पुंज की विशेषता और यह यात्रा किसी के लिए संभव ही नहीं किंतु जब देवत्व के स्वामी स्वयं किसी ओर अग्रसर हो तो असंभव शब्द की कोई स्थायित्व ही नही ।



° " आरव अपने स्वर्ण पंखों को खोलकर , हाथ में माया पुंज को लेकर ! श्वेत वस्त्र धारण कर मन मोहक अवतार में सामान्य लिहास ( वामिनो में रहने वाले लोग ) के सम्मुख आते है । "

• [ आरव श्रेष्ठ अवश्य थे किंतु स्वयं ही आराधना करते थे एक ईश्वर की जिनके द्वारा उनका सृजन हुआ है । रात्रि का अधिक समय वे अनादि ईश्वर की ओर और अग्रसर होने में लगाते । परमेश्वर ने उन्हें वैभव , शक्ति , हृदय , ज्ञान , स्वयं ईच्छा शक्ति , माया और देवत्व के पश्चात भी दासता जैसे श्रेष्ठ गुणों के संतुलन से सृजन किया है । और आरव को दूर रखा अवगुणों से । ]

" जब आरव शांति स्थापना के लिए और पुनः संतुलन के लिए श्रेष्ठ अवतार लेते है लीला का । उन्होने देवत्व के प्रकाश से वामिनो की रात्रि को पूर्णतः प्रकाशमय कर दिया । उन्होंने सज्जा हेतु चंद्र से शीतलता , तो सूर्य से तेजस्वा लिया , स्वर्ण मुकुट और और उनके केश मानो प्रत्येक जीव को सम्मोहित करने हेतु सज्ज हुए है । उनका मस्तक प्रत्येक युग से परय, नैनो के मोहना वाला मादक। उनका मुख पूर्णतः वरदान की छवि थी और उनकी माया द्वारा ही लोको में संभव जीवन । "


• श्रेष्ठ ने हाथो की उंगलियों से संकेत दिया ' शक्ति प्रदर्शन प्रारंभ हुआ ' ।

_ आरव के विशाल काय और देवीय स्वरूप में प्रत्येक जीव मन मुग्ध था ।

© A R V