...

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हम साथ चलेंगे
हम जब भी कहीं यात्रा पर जाते, तो तुम दो दिन पहले से कह देते मुझसे सामान रखने, और मैं हमेशा अंतिम दिन ही सामान जमाती। तुम्हारे सामान को तो तुम ध्यान से रखते और मुझे भी याद दिला देते थे मेरी ज़रूरत का सामान। मगर मैं फिर भी हमेशा कुछ न कुछ भूल जाती थी, और फिर तुमसे कहती यह रखना भूल गई, वो रखना भूल गई, और तुम कहते कितनी बार समझाया है पहले से तैयारी कर लिया करो। जब भूल जाते हो तो पहले से सोच लिया करो क्या-क्या रखना है और फिर कहते चलो जाने दो नया दिला देंगे।

मगर इस बार तुम अकेले गए, मगर हमेशा की तरह कुछ भूले नहीं.. मेरा सुकून, खुशियां, सपने और मेरा दिल भी तुम ले गए। शायद तुम मुझे भी साथ ले जाते, मगर जल्दी में भूल गए.. है ना।।

सुनो,
मैं तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही हूँ..
फिर हम साथ चलेंगे।
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