तुम्हें और तुम्हारे अहसास को लिखना है
तुम्हें लिखना है मुझे अपने अल्फ़ाज़ों में आज
क्या लिखना है ये मैं नहीं जानती
क्या नहीं लिखना ये भी मालूम नहीं
बस मालूम है तो इतना की तुम्हें लिखना
सोचा तो था कि लिखूँगी लेकिन अब समझ नहीं आ रहा क्या लिखूँ
तुम्हारा वो प्यार लिखूँ जो झलकता है तुम्हारी बातों से
जो महसूस कराता है मुझे एक अलग अहसास जिससे मैं समझने लगती हूँ खुद को कीमती
तुम्हारी वो फ़िक्र लिखूँ जो तुम्हारी हर बात में दिखती है
जैसे तुम बाँट लेना चाहते हो मेरा दर्द को मेरी तकलीफ को तुम्हारा छोटी छोटी बातों पर मेरी फ़िक्र करना जैसे तुम मुझे कभी दर्द में नहीं देखना...
क्या लिखना है ये मैं नहीं जानती
क्या नहीं लिखना ये भी मालूम नहीं
बस मालूम है तो इतना की तुम्हें लिखना
सोचा तो था कि लिखूँगी लेकिन अब समझ नहीं आ रहा क्या लिखूँ
तुम्हारा वो प्यार लिखूँ जो झलकता है तुम्हारी बातों से
जो महसूस कराता है मुझे एक अलग अहसास जिससे मैं समझने लगती हूँ खुद को कीमती
तुम्हारी वो फ़िक्र लिखूँ जो तुम्हारी हर बात में दिखती है
जैसे तुम बाँट लेना चाहते हो मेरा दर्द को मेरी तकलीफ को तुम्हारा छोटी छोटी बातों पर मेरी फ़िक्र करना जैसे तुम मुझे कभी दर्द में नहीं देखना...