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कटु सत्य......
चारों ओर धूम है, पिछले एक सप्ताह से देवी के रूपों को पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जा रहा है l हर कन्या को पुरे सम्मान के साथ देवी का स्वरूप मान, उसकी चरण धूल को मस्तक पर लगाया जा रहा है l
क्या वास्तव में ये श्रद्धा है, या फिर केवल एक ढर्रे पर चली आ रही एक परंपरा को बंधे बंधाये तरीकों से पूरे दिखावे और आडंबर के साथ मानने और मनाने की विवशता l विवशता इसीलिए क्योंकि स्वयम को आस्तिक दिखाने की होड़ में कोई पीछे नहीं रहना चाहता l
हमारा मंतव्य किसी की भी आस्था पर पृश्न उठाना नहीं है l लेकिन कुछ प्रश्न ना चाहते हुए भी मन में आ जाते है और कलम के जरिये शब्दों में ढल कर आप तक पहुँच जाते है l
देवी के चरणों में सर झुकाने वाले, अपने ही परिवार की स्त्रियों को प्रताड़ित करने और अस्तित्वहीन समझने का एक भी मौका नहीं छोड़ते l कहने को वो शक्ति स्वरूपा है लेकिन उसकी संवेदन शीलता, कोमलता और रिश्तों को बचाये रखने के स्वभाव को उसकी कमजोरी मान, उसे नगण्य प्राय ही समझा जाता है l
जिस कन्या को आप देवी का स्वरूप मानते है, उसके साथ यदि आप स्वयम कोई अनाचार नहीं भी करते, परंतु उसके साथ हो रहे दुराचार का विरोध भी तो नहीं करते l यदि हर नारी या कन्या देवी का ही अंश एवम पूजनीय है तो उनके साथ इतने दुर्व्यवहार क्यों होते है l
जो आस्तिकता के उदाहरण प्राय होते है l वो किसी भी चित्कार पर बहरे क्यों हो जाते है l ज्यादा दूर ना जाए, अवश्य ही आपके आस पास भी आपको दुर्व्यवहार देखने को मिल जायेगा l उस समय वो कन्या या स्त्री देवी का स्वरूप नहीं रहती, तब आप उसके भाग्य और नियति का बहाना बना कर सब अनदेखा कर देते है l विडंबना ही तो है कि जिस देश में नारी को पूजा जाता है, शक्ति स्वरूपा माना जाता है, वही उसकी दयनीय स्तिथि एवम प्रताडना की अवस्था को देख आँख बंद और कान बहरे करने के बाद भी, उपदेश देने एवम स्वयम को उपासक कहने वाले, आडम्बर परिपूर्ण व्यक्तित्व को स्वयम के द्वारा की गई अवहेलना और कृत्यों पर जरा भी ग्लानि नहीं होती l
हमेशा की तरह हम फिर कहेंगे कि समाज मे अपवाद अवश्य है, लेकिन इस विषय पर तो अपवाद भी आपको शायद मुश्किल से मिले l
त्रुटि के लिए क्षमा 🙏🏻🙏🏻


© * नैna *