...

10 views

कॉलेज की प्रयोगशाला में
नवीन : आशीष, अमित, किशन चलो भाई! अभी जीव विज्ञान की प्रयोगशाला बंद हो जाएगी फिर देखते रहना, समझे?

आशीष : यार नवीन! आज बहुत मजा आएगा ना? सुना हूं की प्रयोगशाला में आम जंतुओं के अलावा तारा मछली, गिद्ध, और एक 5 महीने का मरा बच्चा भी केमिकल में डुबोएं हुए एक शीशे के ज़ार में रखा हुआ है.

अमित : हाँ बे! मैंने भी एक बार देखा था. मैंने तो अपने मोबाइल में फोटो भी खींचा है.

नवीन : किशन जरा देख! कहीं जीव विज्ञान वाले सर जी तो नहीं आ रहे हैं. सुना हूं कि बहुत मारते हैं, अगर हम लोगों को पा गए छोड़ेंगे तो बिल्कुल नहीं.

किशन : अरे यार तुम लोग डरो मत चलो मेरे साथ कुछ नहीं होगा जो होगा मैं देख लूंगा.
( फिर चारों लड़कें प्रयोगशाला के अंदर जाते हैं )

नवीन : वाह यार! मैंने तो अपने जीवन में कभी भी तारा मछली नहीं देखा था मगर आज देखकर दिल खुश हो गया. वो क्या है जार मे?( दूसरी जार की तरफ इशारा करते हुए )

किशन : वो लगभग 5 या 6 महीने का बच्चा है. जाओ देखो! पर तुम तो एक नंबर के डरपोक हो. तुम तो जब रात में पेशाब के लिए भी जाते हो, तो बिना किसी को जगाए नहीं जाते.
नवीन: ऐसी बात नहीं है इसको देखने में क्या डर है अभी देखो! अपने हाथ से भी छू कर दिखाता हूं.

तीनों दोस्त : भाई! हम लोग को अभी आते हैं तब तक तुम यही टहलो, हां देखना कि कोई चीज गिर ना जाए, समझे?

नवीन! जी जनाब! अब क्या आप लोग जाने का कष्ट करेंगे.
( तीनों दोस्त चले जाते हैं वह अकेला है प्रयोगशाला में इधर-उधर घूमता डालता है, तभी )

आवाज आती है : भैया! मुझे इस जार से बाहर निकालो.मुझे यहां सांस लेने में दिक्कत हो रही है. पता नहीं लोगों की क्या दुश्मनी है जो मुझे यहां कैद कर दिया.

नवीन: कौन है? यार सच बताओ तुम लोग मजाक तो नहीं कर रहे? वैसे भी मैं बहुत डरपोक हूं. मुझे और मत डराओ. क्या चाहते हो तुम लोग, कि मैं आज रात भर सो ना पाऊँ.
( फिर वह देखता है की वह बच्चा जो जार में रखा है उसकी आंखें खुली हुई थी और लाल थी जो कि पहले बंद थी उस बच्चे के अंग भी हिलडुल रहे थे, देखने में बिल्कुल ऐसा लग रहा था कि वह लड़का उसे को बुला रहा है. फिर पूरा जार खून की तरह लाल हो जाता है और रोने की आवाज आने लगती है. वह डर के मारे भाग जाता है. वह भागते हुए अपने दोस्तों के पास जाता है और कहता है तुम तीनो इधर आओ. वे लोग उसके पास जाते हैं, नवीन उन तीनों को खूब गाली देता है.

नवीन: यार तुम लोग मेरे दोस्त नहीं हो. बल्कि मेरी जान के दुश्मन हो. मुझको कहां ले में जाकर फंसा दिया. चलो! तुमको दिखाओ की वह जार जिसमें बच्चा था वह मुझे बुला रहा था उसके अंग भी हिल रहे थे और पूरा जार खून की तरह लाल हो गया था.

किशन :  अच्छा एक बात बताओ क्या तुमने सुबह आते हुए भांग का नशा कर रखा था?

नवीन : (उसकी बात टोकते हुए) यार! अभी मैं एक तमाचा तुम्हारे गाल पर मारूंगा यही नाच कर गिर जाओगे. समझे! यह मजाक का वक्त नहीं है चलो मैं तुम लोगों को दिखाता हूं.

किशन : सुन भाई! अगर ऐसा हुआ ना तो मैं तेरी जिंदगी भर गुलामी करूंगा.

नवीन: ठीक है, चल फिर!
(वे चारों प्रयोगशाला में जाते हैं)

अगले भाग में............

© इस कहानी के सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं
  ✒️ नवीन गौतम की कलम से

© Navin Rishi