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मिस रॉन्ग नंबर
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो...

हाँ...!! उस दिन भी ऐसी ही अंधेरी रात थी, तेज़ आंधी तूफान के साथ मूसलाधार बारिश, उसपर अमावस अंधेरा ऐसे छाया हुआ था की एक हाँथ को दूसरा हाँथ न दिखें ।
लाइट आने के इंतजार में बैठा जीत अब थक चुका था, आज काम भी बहोत ज्यादा जो हुआ , उफ्फ कोई कोई दिन बड़ा ही खराब निकलता है, ऐसे भी नहीं कह सकता की "किसका मुंह देख कर दिन निकला" गए दो दिन से अपना ही चेहरा देख कर दिन निकलता है । माँ पिताजी मेरे लिए मांगी गई मन्नत पूरी करने, कई सालों बाद जा पाएं थे, मैं अकेली जान ...!! घर माता पिता के बगैर बहुत सुना लगता है, आज पहली बार ये एहसास हो रहा था । खाली घर देखना उसके दिल को और खोखला कर रहा था, इसलिए बाहर से ही खा कर लौटते हुए वैसे भी रात हो चुकी थी उसपर जब अचानक आंधी तूफान शुरू हुआ तो बड़ी तेजी से वो घर पहुंच गया था फिर भी बारिश ने उसे भिगो दिया था ।
अंधेरे में ही उसने दरवाजा खोला, दरवाजे के सामने अगल बगल के पेड़ों की पत्तियां, कचरा आंधी से काफी मात्रा में इकट्ठा हुआ था, आज पहली बार उसे अपना घर एक नजर देखते ही कोई पुराना डाक बंगला सा महसूस हो रहा था, मानो कोई रहस्यमई टीवी सीरियल का घर हो....! अपनेही बेतुके विचारों पर हंस पड़ा..., ऐसा भी कभी होता है ?? फालतू में लोगों के मन में डर भरने के लिए ये टीवी वाले कुछ भी उलजलूल कथाएं गढ़ते रहते है । खैर मन भी न जाने क्या क्या बाते सोचता रहता है ।
हां तो उस रात ऐसा ही फोन बजा था, जीत ने जैसेही रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया।
बड़ा अजीबसा महसूस हुआ था उस वक्त, पर अपने विचारों को झटक कर, हो सकता है कोई गलती से किसी का फोन लग गया हो..!! उसने अपनेको सोने के लिए मेंटली तैयार किया, किंतु वो मधुर कोयल सी आवाज कान में शहद नहीं बल्कि अमृत घोल रही थी, अजीब सी कशिश थी उस आवाज में, जैसे वो सॉरी नहीं, बल्कि जीत को अंदर से पुकार रही हो...!

अरे छोड़ो यार पहले ही बहुत थक चुका हूं अब और कोई विचार नहीं करना है । चलो सोता हूं... सोच कर जैसे ही वह मुड़ा अचानक फिर फोन की घंटी बजी, रिसीवर उठाते ही फिर वही आवाज..! लेकिन काफी डरी हुई, जैसे उधर कुछ घटित हो रहा हो...! पक्का कुछ बेहद डरावना...! या कुछ बेहद अजीब ...!! समझ न आ रहा था, इतने में उसने पहली बार मेरे नाम से आवाज दी...!

उसने मुझे मेरे नाम से पुकारा था ।
जी....त, प्लीज.... हेल्प....!!! और फोन कट गया ।

( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...)
© Devideep3612