बस इतना सा साथ 74
क्लास ख़त्म हो गई होती है , बच्चे भी जा चुके होते हैं । नेहा भी निकलने की तैयारी कर रही होती है कि तभी पूजा आती है ।
पूजा - दीदी, मैं भी जा रही हूँ।
नेहा - हम्म, अच्छा सुन मैं भी बस निकल ही रही
हूँ। साथ चलें।
पूजा- चलती दी , पर वो मुझे भाभी को पार्लर ले
जाना है।
नेहा - अच्छा ठीक है , तू निकल फिर । ( तभी याद आता है अपना भी तो पार्लर का काम पेंडिंग है। और तुरंत पूजा से कहती है। )
पूजा एक मिनट।
पूजा- हाँ दी।
नेहा - वो मुझे काम था एक ।
पूजा- हाँ दी, बोलो।
नेहा - वो संडे एक फंक्शन में जाना है। तो मुझे
तैयार होना था । ये पार्लर वाली सही काम
करती है क्या ?
पूजा - पता नहीं, मैं कभी तैयार नहीं हुई यहाँ से ।
पर सुना है अच्छा करती है। वैसे आप
कब से फंक्शन में जाने लगे , वो भी तैयार
हो के ।
नेहा - बस ऐसे ही मम्मी पीछे लग गई हैं ,
इसलिए सोचा इस बार तैयार हो के भी
देख लेते हैं।
पूजा - मेरा मन नहीं मान रहा , सच बताओ ।
नेहा - अरे, बता तो दिया । वैसे भी घर का
फंक्शन है तैयार होना तो बनता ही है।
पूजा- क्या ज्योति दीदी की सगाई है , यार आपने
बुलाया भी नहीं। बुलाया छोड़ो, बताया
तक नहीं। ये बिलकुल गलत बात है।
नेहा - ( मन में सोचती है ) इसे तो बोल कर ही
गलत किया । ये प्रशांत की मम्मी भी ना
जाने कहाँ बिजी हैं, एक बार फोन उठा
लेती तो सारी बात बन जाती ।
पूजा - ( चुटकी बजा नेहा का ध्यान अपनी ओर करते हुए। ) कहीं आपकी तो सगाई नहीं।
( नेहा हाँ में सिर हिलाती है । ) oh my god सच
में आपकी शादी है।
नेहा - हाँ बाबा।
पूजा- कब ?
नेहा - पता नहीं, अभी डेट नहीं निकाली है। ( फिर किताबों को इधर से उधर रखने लगती है। )
पूजा - ( नेहा के हाथ से किताबें रखते हुए। ) अब
यूँ मुँह मत फेरो , अब तो पूरी बात
बताओ । और एक मिनट किस- किस
को पता है ? भाट्टी को पता है ?
नेहा - नहीं पता ।
पूजा- वंशिता ?
नेहा - अब तुझे लेट नहीं हो रहा ।
पूजा - बिलकुल नहीं हो रहा । अब तो आपको
मुझे पूरी बात बतानी होगी। कब हुआ,
आप जीजा जी से मिले , क्या बात हुई।
नेहा - जीजा जी ?
पूजा - हाँ तो और क्या बुलाएंगे । वैसे आप क्या
बुलाते हो ।
नेहा - मैं क्या बुलाती हूँ ? फिलहाल तो कुछ
नहीं।
पूजा- नहीं बताना है तो मत बताइये, पर अब
मुझे सब जानना है।
नेहा - कुछ है ही नहीं बताने का ।
पूजा- तो वो कुछ नहीं ही बता दीजिए।
नेहा - फिर किसी दिन , अभी तू ये मेरा पार्लर
वाला काम कर दे ।
पूजा - ओए होए, किसी को अच्छा दिखने की
ख्वाहिश है ।
नेहा - और किसी को पीटने की । शैतान ये मत
भूल मैं तेरी दीदी हूँ।
पूजा - वही तो सबसे अच्छी बात है। मेरी बड़ी
इच्छा थी कोई जीजाजी हों मेरे। एक
बार तो लगा था आप करोगे ही नहीं
शादी। पर आपने तो दिल खुश कर दिया।
नेहा - अब तू मेरा दिल खुश कर और मेरा काम
कर के आ ।
पूजा- ok , पर मुझे सब कुछ जानना है , मतलब
सब कुछ ।
नेहा - हम्म ।
( पूजा के निकलते ही नेहा भी निकलने की तैयारी कर रही होती है। ताला उठाया ही था कि फोन बजता है, मनीष का फोन था । नेहा फोन उठाती है । )
नेहा - गुड मॉर्निंग ।
मनीष - गुड मॉर्निंग, निकल गए ?
नेहा - बस निकल रही हूँ। ( कहते हुए ताला लगाते हुए निकलती है। )
मनीष - तो मैडम संडे की तो छुट्टी दे दी होगी
बच्चों को ।
नेहा - क्यूँ संडे को ऐसा के है ?
मनीष - अच्छा, ऐसा क्या है ! कुछ नहीं है ?
नेहा - अरे , कुछ कैसे नहीं है। नवमी है संडे को ।
बड़ा मज़ा आता है, छोटी- छोटी कन्याएं
घर में आती हैं। माता रानी का ....
मनीष - माता रानी की पुजारिन हमारी सगाई भी
है ।
नेहा - अच्छा वो , वो तो पता है मुझे। क्यूँ आप
भूल गए थे क्या ?
मनीष - मैं, मैं भूल गया था । मेरी तो ...
नेहा- इंतजार से हालत खराब हो रही है । दिन
गिन रहा हूँ, पर ऐसा लग रहा दिन बढ़ते जा
रहे हैं । यही ना ...
मनीष- अच्छा जी , मज़ाक उड़ा रहे हो । उड़ा लो
मज़ाक । जिस दिन आपको भी प्यार हो
जाएगा , तब दूरियों और वक़्त का पता
चलेगा आपको।
नेहा - मज़ाक नहीं ऐसे थोड़ी मस्ती कर रही थी ।
और रही बात प्यार की , तो जितना भी हो
जाएगा ऐसी वाली फिलिंग नहीं आएगी।
मनीष - ऐसी वाली, क्या मतलब है आपका ऐसी
वाली से ।
नेहा - मतलब ये मजनू टाइप।
मनीष - वो तो वक़्त ही बताएगा।
नेहा - वक़्त.... ( बोल ही रही होती है की एक और कॉल आने लगता है । नेहा देखती है प्रशांत की मम्मी का कॉल होता है। नेहा मनीष से कहती है। ) सुनो मैं आपको बाद में बात करूँ। एक
अर्जेंट कॉल आ रहा है।
मनीष - हाँ-हाँ, ठीक है आराम से । bye
नेहा - bye ।
( मनीष से कॉल कटता है, इससे पहले ही प्रशांत की मम्मी का फोन कट जाता है । नेहा फिर से फोन मिलाती है, पर इस बार आंटी का फोन बिजी आता है। )
नेहा - ( अपने आप से ) लगता है मुझे ही फोन
मिला रही हैं। ( दो कदम चलती है कि आंटी का फोन आ जाता है। नेहा तुरंत ही फोन उठा लेती है । )
नमस्ते आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - नमस्ते , कितनी देर में
आओगे।
नेहा - आओगे? कहाँ आना था आंटी जी।
प्रशांत की मम्मी- घर और कहाँ।
नेहा - पर आपने मुझे कब बोला।
प्रशांत की मम्मी - प्रशांत को बोला था मैंने,
उसने बताया नहीं तुम्हें?
नेहा - कहाँ, आंटी जी। कुछ नहीं बताया उसने
मुझे।
प्रशांत की मम्मी- मैंने उसको बोला था , दीदी का
कई बार फोन आ चुका है पर मैं बात नहीं
कर पाई। तू दीदी को बोलना घर ही आ
जाएंगी। पर ये लड़का हर बार भूल जाता
है ।
नेहा - कोई नहीं आंटी जी । एग्जाम के चक्कर में
भूल गया होगा । मैंने तो ये पूछने के लिए
फोन किया था कि आप संडे को फ्री हो
क्या।
प्रशांत की मम्मी - संडे को ? संडे को पलक का
प्रोग्राम है , बस उसे तैयार करना है। कुछ
काम था क्या ?
नेहा - नहीं इतना भी कोई खास नहीं था । बस
ऐसे ही।
प्रशांत की मम्मी - कल फ्री हूँ, कल आ जाओ
कल करते हैं।
नेहा - कल ? तीन दिन टिकता है क्या मेकअप ।
प्रशांत की मम्मी- तुझे मेकअप कराना है ! कुछ
खास है क्या ?
नेहा - हाँ, वो तैयार होना था मुझे ।
प्रशांत की मम्मी - क्या बात है , लगता है कुछ
खास है।
नेहा - अब आपसे क्या छुपाना आंटी जी , वो
संडे को ( थोड़ा झिझक कर )..... मेरी
सगाई है ।
प्रशांत की मम्मी- सगाई , हैं तेरी सगाई।
नेहा - हाँ जी , आंटी जी मेरी सगाई।
प्रशांत की मम्मी - अरे वाह, बात सगाई तक
पहुँच गई और हमें कुछ पता ही नहीं। ये
मेरा प्रशांत तो बोंधू है ही उसे तो पता ही
नहीं होगा , पर पलक ने भी नहीं बताया
कुछ ।
नेहा - अरे आंटी जी , पलक को भी नहीं पता
होगा । इनफैक्ट अभी तक तो किसी को
नहीं पता ।
प्रशांत की मम्मी - अच्छा , तो सब कुछ चुपके -
चुपके ।
नेहा - अरे नहीं आंटी ऐसा कुछ नहीं है। बस
अभी कोई डेट फाइनल नहीं हुई है। ये
बच्चे ना जान खा जाएंगे मेरी, इनके नाम
से चिढाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।
फिर एग्जाम भी हैं, क्यूँ फालतू में इनका
ध्यान भटकाना।
प्रशांत की मम्मी - वो बात भी है। अच्छा फिर
आज तो आ नहीं पाएगी। फेशियल कर
दूँगी मैं तेरा ।
नेहा - नहीं-नहीं आंटी अभी इस बार मैं पार्लर में
तैयार हो लेती हूँ। पूजा को बोला है पार्लर
में बात करने के लिए।
प्रशांत की मम्मी - अच्छा, मेरे होते हुए तू पार्लर
में जाएगी। जब तक मैं यहाँ हूँ, तब तक तू
कहीं और नहीं जाएगी ।
नेहा - पर आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - पलक की टेंशन मत लो । उसे
सुबह 9 बजे जैस्मीन के साथ तैयार कर के
भेज दूँगी।
नेहा - पर आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - बस हो गया फाइनल , कल
तुम घर आ जाना और अपनी ड्रेस भी ले
कर आना । बाकी कल देखते हैं।
नेहा - ओके आंटी जी , आपके हुकुम की तामील
होगी ।
प्रशांत की मम्मी- गुड, और दो - तीन घंटे का
टाइम निकाल कर आना। ये नहीं आते ही
आंटी मेरी क्लास है , उनके टेस्ट बनाने है , फलाना- ठिंकाना नहीं चाहिए मुझे । वरना मुर्गा
बनाना मुझे भी आता है ।
नेहा - पर मुझे नहीं आता आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - क्या ?
नेहा - मुर्गा बनना।
( दोनों हँसते हैं। )
थैंक्स आंटी जी , कल आती हूँ आंटी जी
फिर ।
प्रशांत की मम्मी - बोल टाइम से आती हूँ और
पूरा टाईम निकाल कर आती हूँ।
नेहा - हाँ जी , आंटी जी । bye
प्रशांत की मम्मी - bye
( नेहा फोन रखती है, फिर अपने से कहती है। )
नेहा - चलो, ये तो हुआ। अब पहले पूजा को मना
करती हूँ, वरना उधर भी दिक्कत हो
जाएगी।
( और पूजा को फोन मिलाती है। मनीष के घर पर मनीष अपनी मम्मी से बात कर रहा था। )
मनीष - मम्मी आज और कल मेरी नाइट शिफ्ट
है।
मनीष की मम्मी - ठीक है।
( मनीष कुछ कहने की कोशिश करता है , पर फिर वापिस जाने लगता है। पर मन नहीं मानता , फिर मुड़ कर एक साँस में कहता है। )
मनीष - मम्मी , वो कल मुझे आपसे वैसे बात
नहीं करनी चाहिए थी । उसके लिए सॉरी ।
( मनीष की मम्मी सुनती हैं,पर कुछ नहीं कहती । मनीष दो मिनट रूकता है , पर फिर जाने लगता है। उसको जाते देख मनीष की मम्मी कहती हैं । )
मनीष की मम्मी - वैसे बात तो मेरी भी पूरी सही
नहीं थी । पर क्या करूँ, बचपन से ही
बड़बोली हूँ, सोचती नहीं बोलने से पहले ।
( फिर दोनों एक दूसरे को देख , मुस्कुराते हैं। )
मनीष की मम्मी - हाँ , पर ये मत समझना तेरी
नेहा आएगी तो मैं बदल जाऊँगी। उसे भी
यूँ ही बोलूंगी आखिर मेरे बेटे की बहू है,
हक बनता है मेरा ।
मनीष - बिल्कुल , बस हक से और प्यार से
मम्मी , रुआब से नहीं ।
मनीष की मम्मी - क्या बात है, आज बड़ी
समझदारी की बातें कर रहा है।
मनीष - ( धीरे से बोलता है। ) बस किसी की
समझदारी का असर है।
मनीष की मम्मी - क्या ?
मनीष - ( अपने ध्यान से हट ) कुछ नहीं ।
मनीष की मम्मी - तेरी अँगूठी बन गई।
मनीष - मेरी अँगूठी?
मनीष की मम्मी - हाँ, नेहा ने बताया होगा ?
मनीष - नहीं , हमारी कुछ बात नहीं उस बारे में।
मनीष की मम्मी - काम की बात तो कभी तू
करना मत ।
मनीष - उसमें हमें क्या करना है। वो तो उनकी
मर्जी है ।
मनीष की मम्मी - कभी अपनी माँ की मर्जी भी
देख लिया कर ।
मनीष - नेहा आपकी मर्जी ही तो है । मेरी मर्जी
तो आपको पसंद नहीं आई थी।
मनीष की मम्मी - शुभ काम हो रहा है, अब उस
बारे में कोई बात नहीं करनी।
मनीष - ठीक है, पर मुझे एक बात और करनी
है।
मनीष की मम्मी - कौन-सी बात ।
मनीष - नेहा की ड्रेस तो आप उस दिन बदलवाने
ले गए थे । फिर आपने नेहा को कौन-सी
ड्रेस दी है ।
मनीष की मम्मी - मीनू वाली।
मनीष - ( चौंक कर ) क्या , मीनू वाली?
continued to next part ....
© nehaa
पूजा - दीदी, मैं भी जा रही हूँ।
नेहा - हम्म, अच्छा सुन मैं भी बस निकल ही रही
हूँ। साथ चलें।
पूजा- चलती दी , पर वो मुझे भाभी को पार्लर ले
जाना है।
नेहा - अच्छा ठीक है , तू निकल फिर । ( तभी याद आता है अपना भी तो पार्लर का काम पेंडिंग है। और तुरंत पूजा से कहती है। )
पूजा एक मिनट।
पूजा- हाँ दी।
नेहा - वो मुझे काम था एक ।
पूजा- हाँ दी, बोलो।
नेहा - वो संडे एक फंक्शन में जाना है। तो मुझे
तैयार होना था । ये पार्लर वाली सही काम
करती है क्या ?
पूजा - पता नहीं, मैं कभी तैयार नहीं हुई यहाँ से ।
पर सुना है अच्छा करती है। वैसे आप
कब से फंक्शन में जाने लगे , वो भी तैयार
हो के ।
नेहा - बस ऐसे ही मम्मी पीछे लग गई हैं ,
इसलिए सोचा इस बार तैयार हो के भी
देख लेते हैं।
पूजा - मेरा मन नहीं मान रहा , सच बताओ ।
नेहा - अरे, बता तो दिया । वैसे भी घर का
फंक्शन है तैयार होना तो बनता ही है।
पूजा- क्या ज्योति दीदी की सगाई है , यार आपने
बुलाया भी नहीं। बुलाया छोड़ो, बताया
तक नहीं। ये बिलकुल गलत बात है।
नेहा - ( मन में सोचती है ) इसे तो बोल कर ही
गलत किया । ये प्रशांत की मम्मी भी ना
जाने कहाँ बिजी हैं, एक बार फोन उठा
लेती तो सारी बात बन जाती ।
पूजा - ( चुटकी बजा नेहा का ध्यान अपनी ओर करते हुए। ) कहीं आपकी तो सगाई नहीं।
( नेहा हाँ में सिर हिलाती है । ) oh my god सच
में आपकी शादी है।
नेहा - हाँ बाबा।
पूजा- कब ?
नेहा - पता नहीं, अभी डेट नहीं निकाली है। ( फिर किताबों को इधर से उधर रखने लगती है। )
पूजा - ( नेहा के हाथ से किताबें रखते हुए। ) अब
यूँ मुँह मत फेरो , अब तो पूरी बात
बताओ । और एक मिनट किस- किस
को पता है ? भाट्टी को पता है ?
नेहा - नहीं पता ।
पूजा- वंशिता ?
नेहा - अब तुझे लेट नहीं हो रहा ।
पूजा - बिलकुल नहीं हो रहा । अब तो आपको
मुझे पूरी बात बतानी होगी। कब हुआ,
आप जीजा जी से मिले , क्या बात हुई।
नेहा - जीजा जी ?
पूजा - हाँ तो और क्या बुलाएंगे । वैसे आप क्या
बुलाते हो ।
नेहा - मैं क्या बुलाती हूँ ? फिलहाल तो कुछ
नहीं।
पूजा- नहीं बताना है तो मत बताइये, पर अब
मुझे सब जानना है।
नेहा - कुछ है ही नहीं बताने का ।
पूजा- तो वो कुछ नहीं ही बता दीजिए।
नेहा - फिर किसी दिन , अभी तू ये मेरा पार्लर
वाला काम कर दे ।
पूजा - ओए होए, किसी को अच्छा दिखने की
ख्वाहिश है ।
नेहा - और किसी को पीटने की । शैतान ये मत
भूल मैं तेरी दीदी हूँ।
पूजा - वही तो सबसे अच्छी बात है। मेरी बड़ी
इच्छा थी कोई जीजाजी हों मेरे। एक
बार तो लगा था आप करोगे ही नहीं
शादी। पर आपने तो दिल खुश कर दिया।
नेहा - अब तू मेरा दिल खुश कर और मेरा काम
कर के आ ।
पूजा- ok , पर मुझे सब कुछ जानना है , मतलब
सब कुछ ।
नेहा - हम्म ।
( पूजा के निकलते ही नेहा भी निकलने की तैयारी कर रही होती है। ताला उठाया ही था कि फोन बजता है, मनीष का फोन था । नेहा फोन उठाती है । )
नेहा - गुड मॉर्निंग ।
मनीष - गुड मॉर्निंग, निकल गए ?
नेहा - बस निकल रही हूँ। ( कहते हुए ताला लगाते हुए निकलती है। )
मनीष - तो मैडम संडे की तो छुट्टी दे दी होगी
बच्चों को ।
नेहा - क्यूँ संडे को ऐसा के है ?
मनीष - अच्छा, ऐसा क्या है ! कुछ नहीं है ?
नेहा - अरे , कुछ कैसे नहीं है। नवमी है संडे को ।
बड़ा मज़ा आता है, छोटी- छोटी कन्याएं
घर में आती हैं। माता रानी का ....
मनीष - माता रानी की पुजारिन हमारी सगाई भी
है ।
नेहा - अच्छा वो , वो तो पता है मुझे। क्यूँ आप
भूल गए थे क्या ?
मनीष - मैं, मैं भूल गया था । मेरी तो ...
नेहा- इंतजार से हालत खराब हो रही है । दिन
गिन रहा हूँ, पर ऐसा लग रहा दिन बढ़ते जा
रहे हैं । यही ना ...
मनीष- अच्छा जी , मज़ाक उड़ा रहे हो । उड़ा लो
मज़ाक । जिस दिन आपको भी प्यार हो
जाएगा , तब दूरियों और वक़्त का पता
चलेगा आपको।
नेहा - मज़ाक नहीं ऐसे थोड़ी मस्ती कर रही थी ।
और रही बात प्यार की , तो जितना भी हो
जाएगा ऐसी वाली फिलिंग नहीं आएगी।
मनीष - ऐसी वाली, क्या मतलब है आपका ऐसी
वाली से ।
नेहा - मतलब ये मजनू टाइप।
मनीष - वो तो वक़्त ही बताएगा।
नेहा - वक़्त.... ( बोल ही रही होती है की एक और कॉल आने लगता है । नेहा देखती है प्रशांत की मम्मी का कॉल होता है। नेहा मनीष से कहती है। ) सुनो मैं आपको बाद में बात करूँ। एक
अर्जेंट कॉल आ रहा है।
मनीष - हाँ-हाँ, ठीक है आराम से । bye
नेहा - bye ।
( मनीष से कॉल कटता है, इससे पहले ही प्रशांत की मम्मी का फोन कट जाता है । नेहा फिर से फोन मिलाती है, पर इस बार आंटी का फोन बिजी आता है। )
नेहा - ( अपने आप से ) लगता है मुझे ही फोन
मिला रही हैं। ( दो कदम चलती है कि आंटी का फोन आ जाता है। नेहा तुरंत ही फोन उठा लेती है । )
नमस्ते आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - नमस्ते , कितनी देर में
आओगे।
नेहा - आओगे? कहाँ आना था आंटी जी।
प्रशांत की मम्मी- घर और कहाँ।
नेहा - पर आपने मुझे कब बोला।
प्रशांत की मम्मी - प्रशांत को बोला था मैंने,
उसने बताया नहीं तुम्हें?
नेहा - कहाँ, आंटी जी। कुछ नहीं बताया उसने
मुझे।
प्रशांत की मम्मी- मैंने उसको बोला था , दीदी का
कई बार फोन आ चुका है पर मैं बात नहीं
कर पाई। तू दीदी को बोलना घर ही आ
जाएंगी। पर ये लड़का हर बार भूल जाता
है ।
नेहा - कोई नहीं आंटी जी । एग्जाम के चक्कर में
भूल गया होगा । मैंने तो ये पूछने के लिए
फोन किया था कि आप संडे को फ्री हो
क्या।
प्रशांत की मम्मी - संडे को ? संडे को पलक का
प्रोग्राम है , बस उसे तैयार करना है। कुछ
काम था क्या ?
नेहा - नहीं इतना भी कोई खास नहीं था । बस
ऐसे ही।
प्रशांत की मम्मी - कल फ्री हूँ, कल आ जाओ
कल करते हैं।
नेहा - कल ? तीन दिन टिकता है क्या मेकअप ।
प्रशांत की मम्मी- तुझे मेकअप कराना है ! कुछ
खास है क्या ?
नेहा - हाँ, वो तैयार होना था मुझे ।
प्रशांत की मम्मी - क्या बात है , लगता है कुछ
खास है।
नेहा - अब आपसे क्या छुपाना आंटी जी , वो
संडे को ( थोड़ा झिझक कर )..... मेरी
सगाई है ।
प्रशांत की मम्मी- सगाई , हैं तेरी सगाई।
नेहा - हाँ जी , आंटी जी मेरी सगाई।
प्रशांत की मम्मी - अरे वाह, बात सगाई तक
पहुँच गई और हमें कुछ पता ही नहीं। ये
मेरा प्रशांत तो बोंधू है ही उसे तो पता ही
नहीं होगा , पर पलक ने भी नहीं बताया
कुछ ।
नेहा - अरे आंटी जी , पलक को भी नहीं पता
होगा । इनफैक्ट अभी तक तो किसी को
नहीं पता ।
प्रशांत की मम्मी - अच्छा , तो सब कुछ चुपके -
चुपके ।
नेहा - अरे नहीं आंटी ऐसा कुछ नहीं है। बस
अभी कोई डेट फाइनल नहीं हुई है। ये
बच्चे ना जान खा जाएंगे मेरी, इनके नाम
से चिढाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।
फिर एग्जाम भी हैं, क्यूँ फालतू में इनका
ध्यान भटकाना।
प्रशांत की मम्मी - वो बात भी है। अच्छा फिर
आज तो आ नहीं पाएगी। फेशियल कर
दूँगी मैं तेरा ।
नेहा - नहीं-नहीं आंटी अभी इस बार मैं पार्लर में
तैयार हो लेती हूँ। पूजा को बोला है पार्लर
में बात करने के लिए।
प्रशांत की मम्मी - अच्छा, मेरे होते हुए तू पार्लर
में जाएगी। जब तक मैं यहाँ हूँ, तब तक तू
कहीं और नहीं जाएगी ।
नेहा - पर आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - पलक की टेंशन मत लो । उसे
सुबह 9 बजे जैस्मीन के साथ तैयार कर के
भेज दूँगी।
नेहा - पर आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - बस हो गया फाइनल , कल
तुम घर आ जाना और अपनी ड्रेस भी ले
कर आना । बाकी कल देखते हैं।
नेहा - ओके आंटी जी , आपके हुकुम की तामील
होगी ।
प्रशांत की मम्मी- गुड, और दो - तीन घंटे का
टाइम निकाल कर आना। ये नहीं आते ही
आंटी मेरी क्लास है , उनके टेस्ट बनाने है , फलाना- ठिंकाना नहीं चाहिए मुझे । वरना मुर्गा
बनाना मुझे भी आता है ।
नेहा - पर मुझे नहीं आता आंटी जी ।
प्रशांत की मम्मी - क्या ?
नेहा - मुर्गा बनना।
( दोनों हँसते हैं। )
थैंक्स आंटी जी , कल आती हूँ आंटी जी
फिर ।
प्रशांत की मम्मी - बोल टाइम से आती हूँ और
पूरा टाईम निकाल कर आती हूँ।
नेहा - हाँ जी , आंटी जी । bye
प्रशांत की मम्मी - bye
( नेहा फोन रखती है, फिर अपने से कहती है। )
नेहा - चलो, ये तो हुआ। अब पहले पूजा को मना
करती हूँ, वरना उधर भी दिक्कत हो
जाएगी।
( और पूजा को फोन मिलाती है। मनीष के घर पर मनीष अपनी मम्मी से बात कर रहा था। )
मनीष - मम्मी आज और कल मेरी नाइट शिफ्ट
है।
मनीष की मम्मी - ठीक है।
( मनीष कुछ कहने की कोशिश करता है , पर फिर वापिस जाने लगता है। पर मन नहीं मानता , फिर मुड़ कर एक साँस में कहता है। )
मनीष - मम्मी , वो कल मुझे आपसे वैसे बात
नहीं करनी चाहिए थी । उसके लिए सॉरी ।
( मनीष की मम्मी सुनती हैं,पर कुछ नहीं कहती । मनीष दो मिनट रूकता है , पर फिर जाने लगता है। उसको जाते देख मनीष की मम्मी कहती हैं । )
मनीष की मम्मी - वैसे बात तो मेरी भी पूरी सही
नहीं थी । पर क्या करूँ, बचपन से ही
बड़बोली हूँ, सोचती नहीं बोलने से पहले ।
( फिर दोनों एक दूसरे को देख , मुस्कुराते हैं। )
मनीष की मम्मी - हाँ , पर ये मत समझना तेरी
नेहा आएगी तो मैं बदल जाऊँगी। उसे भी
यूँ ही बोलूंगी आखिर मेरे बेटे की बहू है,
हक बनता है मेरा ।
मनीष - बिल्कुल , बस हक से और प्यार से
मम्मी , रुआब से नहीं ।
मनीष की मम्मी - क्या बात है, आज बड़ी
समझदारी की बातें कर रहा है।
मनीष - ( धीरे से बोलता है। ) बस किसी की
समझदारी का असर है।
मनीष की मम्मी - क्या ?
मनीष - ( अपने ध्यान से हट ) कुछ नहीं ।
मनीष की मम्मी - तेरी अँगूठी बन गई।
मनीष - मेरी अँगूठी?
मनीष की मम्मी - हाँ, नेहा ने बताया होगा ?
मनीष - नहीं , हमारी कुछ बात नहीं उस बारे में।
मनीष की मम्मी - काम की बात तो कभी तू
करना मत ।
मनीष - उसमें हमें क्या करना है। वो तो उनकी
मर्जी है ।
मनीष की मम्मी - कभी अपनी माँ की मर्जी भी
देख लिया कर ।
मनीष - नेहा आपकी मर्जी ही तो है । मेरी मर्जी
तो आपको पसंद नहीं आई थी।
मनीष की मम्मी - शुभ काम हो रहा है, अब उस
बारे में कोई बात नहीं करनी।
मनीष - ठीक है, पर मुझे एक बात और करनी
है।
मनीष की मम्मी - कौन-सी बात ।
मनीष - नेहा की ड्रेस तो आप उस दिन बदलवाने
ले गए थे । फिर आपने नेहा को कौन-सी
ड्रेस दी है ।
मनीष की मम्मी - मीनू वाली।
मनीष - ( चौंक कर ) क्या , मीनू वाली?
continued to next part ....
© nehaa