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लिखना क्यों चाहिये?
साहित्य हमारे जीवन का ही दर्पण है। जो कुछ एक व्यक्ति, एक परिवार या एक समाज मे घटित हो सकता है वह साहित्य का हिस्सा भी हो सकता है।यानि हर किस्सा साहित्य का हिस्सा हो सकता है।
अतः मनुष्य को जो जो अच्छा या बुरा महसूस होता है उसे अपने लेखन मे डाल लेना चाहिये। यह एक कुछ पंक्तियों की कविता हो सकती है, कोई संस्मरण हो सकता है। कोई कहानी या लेख भी हो सकता है।
मुझे जी लो मैं मुहब्बत हो जाऊंगा
आज लम्हा हूँ कल मुद्दत हो जाऊंगा

मैं ख्याल हूँ मुझे भी इंकलाब चाहिये
मुझे दबाओगे तो मैं दहशत हो जाऊंगा

मुद्दा ही बदल दो,गर नही है तुम्हें पसंद
बार बार दोहराओगे तो आदत हो जाऊंगा

बात इन्सानियत की है तो धीरे से कहना,
उन्होने सुन लिया तो सियासत हो जाऊंगा

तुम्हें लगता है अगर ऐसा कि तुम ठीक हो,
तो ठीक है मैं खुद साबित गलत हो जाऊंगा