...

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जिंदगी कोई फिल्म की स्टोरी नहीं
सुरेश क्या हुआ तुम्हें
हृदय ने पूछा
पहले रिश्तेदार दूर हुए
अब दर्द ने पूरी तरह से तोड़ने की जैसे ठान ली
मैं हूं ना तुम्हारा हृदय इतने क्यों सोचना
तुम तो इतने संवदेनशील हो बात दुःख की हो तो जवाब देने की बजाय उसी को महसूस करने लगते
मैं भावनाओ को भी महसूस करता
कमजोर ये शरीर नहीं शायद कमजोर तुम हो
हाँ सही कहा तुमने मैं कमजोर हूं तभी तो शरीर को चलाता हूं मैं कमजोर हूं तभी तो गहराई से सोचता
मैं कमजोर हूं तभी तो मस्तिष्क को कहता इतने ना सोचा करो
शांत शांत तुम वाकई कमजोर नहीं

हृदय ने कहा जो भूल गए उन्हें भूल जाओ क्यों मेरी यादों मे शामिल रखते हों
काश इतना आसान होता भूलना
मुश्किल भी तो नहीं

जिंदगी कोई फिल्म की स्टोरी नहीं

अब हृदय से संभाली नहीं जा रही थी स्थिति इसलिए हृदय ने जवाब देना बंद कर दिया
उसी समय आत्मा शरीर को पूछने लगी
तुम उसके लिए क्यों परेशान रहते जो भूतकाल हो गयी और शायद कभी तुम्हारी नहीं थी

इसका मतलब क्या हुआ
प्रीत रखनी चाहिए पर उसे समझने वाला भी हो
तुम हृदय को इतने सवाल पूछ रहे थे जबकि तुम एक बात बात जानते हो क्या
क्या ?
हृदय खुद रोकने की कोशिश करता है जो शरीर पर बीमारी आने वाली होती है
ये नहीं पता था मुझे
हृदय ने अपने ज़ज्बात छुपा लिए यानी तुम हृदय की श्रेष्ठता को भूल गए
तो क्या करना चाहिए ?

हृदय को सुनो वो जो कहें करो हृदय जो कहता है कहीं ना कहीं मेरी आवाज़ होती है
मुझे समझ आ गया

थोड़ी देर बाद आत्मा की आवाज़ आनी बंद हो गयी
सुरेश ने हृदय से कहा मुझे नहीं पता था तुम इतने हर बार शरीर का सोचते फिर भी साइड मे हो जाते
मेरा बस इतना कहना जो मैं कहु सुनो मुझे पहले महसूस हो जाता अपना कौन?

हृदय एक बात पूछू
हाँ
अपना पराया से ऊपर उठकर सोचे तो शायद समाधान हो जाए

हृदय कुछ देर शांत रहा फिर जवाब दिया ये सही सोचा
अब सुरेश को जिंदगी जीनी आ गयी थी
अब वो अपने मित्रों से ही आस लगाएगा ये सोचा


सच है रिश्तेदार काम ना आए भले मित्र काम आते
जो कैसा भी समय हो हिम्मत के स्त्रोत का काम करते ।



समाप्त
15/5/2024
5:11 प्रातः


© ©मैं और मेरे अहसास