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शीर्षक- "मैं ही क्यों"
एक शहर में एक लड़का रहता था, जो बहुत ही शांत स्वभाव का था..! पढ़ाई में सदैव अव्वल आना, लड़के के अलावा घर में माता पिता एक बड़ी बहन तीन और भाई दो बड़े एक छोटा कुल मिलाकर 6 सदस्यों का परिवार..! दिन बीतते गए घर का माहौल काफी अच्छा रहता था, धीरे धीरे सारे बच्चे बड़े हो गए सभी अपनी अपनी ज़िन्दगी अपनी मर्ज़ी से जीना चाहते थे..! बस एक ही लड़का अपने माता पिता कि मर्ज़ी अनुसार सारे काम करता..! कहीं भी आना जाना हो बिना माता पिता कि आज्ञा के कहीं आता जाता नहीं,सभी का आदर करता, फिर भी लड़के के साथ हमेशा बुरा ही होता..! कुछ भी काम करता बिना अड़चन के काम नहीं बनता..! एक दिन तंग आकर वो अपने पिता से पूछता है कि- मैंने तो कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, हमेशा सभी के प्रति दया करुणा रखता हूँ..! फिर भी मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? तब उसके पिता उसे समझाते हैं कि- बेटा अगर हमारे साथ कभी अच्छा नहीं हो रहा तो इसका ये अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि हमारे साथ कभी अच्छा नहीं होगा..! या हम बुरे पथ पर निकल जाएँ ..! फिर लड़का पूछता है जो भगवान को नहीं मानते, बुरे कर्म करते हैं उनके साथ तो हमेशा अच्छा ही होता है..! क्या भगवान् भी बुरे कर्म करने वालों से डरता है ?तब फिर उसके पिता उसे समझाते हैं कि अगर सभी ये सोच कर कि मेरे साथ ऐसा बुरा हो रहा है, तो मैं भी गलत दिशा में निकल जाऊँ..! तो पृथ्वी पर लाशों के ढेर कि जगह कुछ नहीं दिखेगा, मनुष्य को सदा संयम धैर्य से कोई भी कार्य करना चाहिए..! धैर्य ही इंसान को जीवन में सफलता कि ओर ले जाता है..! लड़का अपने पिता कि बातों से संतुष्ट होता है, और उनसे वादा करता है कि चाहे जीवन में कैसी भी परिस्थियाँ आएं वो हमेशा धैर्य से काम लेगा ओर एक दिन दुनियां में अपना नाम करेगा...! दिन बीतते गए और वो लड़का देखते ही देखते व्यापार क्षेत्र में अपना बहुत बड़ा नाम बनाता है, वो भी धैर्य की वजह से..! जो लोग धैर्य नहीं रखते वो पहले ही अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं ओर बाद में तक़दीर को दोष देते हैं..!

सीख-" धैर्य इंसान को विपरीत से विपरीत परिस्थियों में भी चट्टान सा अड़िग बनाता है"
© SHIVA KANT