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शब्द 📝
चलो आज कुछ एसे शब्द लिखते है जो न किसी घटना के बारे में बताएं न कोई कहानी सुनाए। आज उन शब्दओ से पहचान कर लेते है जो कुछ अपने बारे में बताते है। शब्द कहते है - मैं किताबो के पन्नो में बंद कुछ बताऊं तुम्हे, तुम सोचो ज्ञान दु या कुछ सिखाऊं तुम्हे। मैं कभी पहेली बन कर तुम्हारे सामने आता हु तो कभी तुमसे जवाब की अपेक्षा करता हु। आज कल लोग दूरी बनाते है मुझसे शायद मैं उनके काम लायक नहीं बचा। पर एक बार मुझमें झाक कर देख लो, अगर कुछ गलत लिखा हो तो फेक दो। मैं बताऊं तुम्हे समंदर कितना गहरा है या आसमान कितना ऊंचा? या तुम पूछ लो मुझसे मेरे ही शब्दओ का मतलब। मैं तुम्हे कहानी सुनाऊं परियों की ताकि तुम रात में चेन की नींद सो सको या खबर दु देश-दुनिया की? तुम मुझमें ढूंढो सवालों के जवाब या मैं खुद तुमसे सवाल पूछूं? अगर इजाजत हो तो क्या मैं तुम्हे कड़वा सच बताऊं? या तुम मुझमें कुछ अपने विचार डूंडो? मैं जिन पन्नो में रेहता हूं वो सीमित क्यों है, ये मेरी गलती है या बनाने वाले ने ज़िंदगी कम दी है मुझे? मैं इतने ज्ञानों का मालिक हु और तुम उससे सम्मान देते हो जो मुझे पढ़कर ज्ञानी बनता फिर रहा है। मुझे तो मेरे ही शरीर पर नियंत्रण नहीं। तुम्हारा जब मन करता है मुझे जिंदा करते हो और जब मन करता है मिटा देते हो। अपने आप को कुर्बान करके मैं तुम्हारी ज़िंदगी सवारता हु। जिन किताबो मे मैं रहता हु उन्हे क्यों जलाते हो? क्या कुछ गलत कह देता हु? मैं तो तुम्हे उनके बारे में बताता हु जिसने ताज महल बनवाया। मैं तो तुम्हे उसके बारे में भी बताता हु जो अंतरिक्ष में घूम रहे है। या तुम्हे बनी बनाई कहानी सुनाऊं? जादुई दुनिया में घुमाऊ या लोगो के बारे में बताऊं? चलो फैसला तुम्हारे ऊपर छोड़ देता हु, मुझे अपनाओ या कचरा बनाओ।