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बारिश का सफ़र
आज बारिश को देख मुझे मेरे मित्र की वो कहानी याद आई।उनका बारिश का सफ़र आज भी याद आता है जब बारिश होती है।उसने सुनाई थी ये कहानी।
आज ही के दिन वो मुझे मिली थी। मैं सफ़र में जा रहा था सड़को पर चल रहा था। बारिश होने लगी थी। मैं भीग गया था।
अचानक किसीकी आवाज़ आई। मैंने देखा तो एक लड़की थी। मुझसे कह रही थी,
"छाता है क्या तुम्हारे पास? " उसने बारिश में भीगते हुए मुझसे कहा, " हाँ, "मैंने भी कहा। फिर तुम बारिश में भीग क्यों रहे हो?, " उसने हँसते हुए सवाल किया, "मुझे बरसात में भीगना अच्छा लगता है, " मैंने जवाब दिया, "तुम ठीक मेरी तरह हो, " उसने फिर से कहा, "हाँ मैं तुम्हारी तरह हूं पर ठीक तुम्हारी तरह का पता नहीं, "!

" ठीक तुम्हारी तरह होने के लिए मुझे क्या करना होगा? "मैंने खुद से एक सवाल किया। फिर बादलों की तरफ देखने लगा।

एक अरमान पूरा हुआ। हजारों अरमान जाग गए। बादल बरस कर टक टकी लगाए ख़ामोशी से देख रहे थे उनकी और सरसराती हवा आकर लिपट गयी थी भीगे बदन से, इंद्रधनुष भी जैसे स्पर्श चाहता था। उनके अधरों को छूकर मदहोश बारिश की बूँदें इतरा रही थी ज़मीन पर। हर एक बूँद पर स्पर्श था उनका, और मैं बदक़िस्मत अरमानों की किश्ती लिए बढ़ रहा था उनकी ओर, और वो इठलाती, इतराती हुई घने कुहासे के बीच कहीं ओझल- सी हो गयी।
उस प्रेम को क्या कहेंगे जो अभी मुझे हुआ था। मुझे प्रेम हुआ था कि मैंने प्रेम कर लिया था?
खैर छोड़ो प्रेम हो जाना और प्रेम करना ?दोनों अलग अलग कैसे हो सकता है दोनों में ही प्रेमी और प्रेमिका अपनी- अपनी भूमिका निभाते है।
सच में कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका उत्तर हमें कभी नहीं मिलता।
बारिश का वो सफ़र मुझे ज़िन्दगी भर याद रहेगा। और वो लड़की जो बारिश में मुझे मिली थी। यही थी कहानी। प्यार भरी बारिश जो हमें प्यार दे जाता है। बरसात प्रेम की अनुभूति है।

रिमझिम- कहानी

Usha patel