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अंत में अच्छा होना अच्छा ही होता है
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा। हम कैसे मदद मिलेगी यह कहते हुये सुदीप आगे बढ़ने लगा लेकिन कहि कोई नजर नहीं आया । रात होने वाली थी, सुदीप के मन मे डर से अजिब अजिब खयाल आने लगा था उसे मदद के लिए कोई नजर नहीं आ रहा था तभी एक आदमी जो पास का रहने वाला था लेकिन वह बहुत गरीब था, उसे अपने बीमार मां कि दवाओं के लिए पैसे चाहिए था लेकिन उसके पास पैसा नहीं था ।सुदीप उस आदमी को देखकर बहुत खुश होने लगा कि मानो जैसे उसे करोड़ की लौटरी लगा हो, सुदीप उस आदमी मदद मांगने लगता है और वह आदमी सुदीप की मदद भी करते हैं ।सुदीप बहुत खुशी कहते हैं कि भाई आज तूम ना होते तो मै बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाता इसके लिए तुम्हारी जितनी बार धन्यवाद करू उतनी कम है ऐसा कहते हुये उस आदमी कि तरफ देखा तो वह बहुत ही उदास था।सुदीप ने उसकी उदासी का कारण पछने लगा वह अपने नम आंखों से आंसू छलक गयी और वह आदमी सुदीप को अपनी मां कि बीमारी के बारे बताने लगता है सुदीप उसकी बाते सुनने के बाद आदमी से कहा भाई तम चिंता मत करो जैसे भगवान ने मेरी मदद के लिए तुम्हें मेरे पास भेजा उसी तरह मुझे भी तुम्हारी मदद के लिए मुझे भेजा है ।रात हो चुकी थी, और रुकने की जगह नहीं तो सुदीप आदमी से कहते हैं कि क्या तुम मेरी एक और मदद करोगे क्या तुम अपने घर आज रात के लिए थोड़ी जगह दे सकते हो वह आदमी अपने साथ सुदीप को अपने घर ले जात है ।सुबह-सुबह जब वह आदमी देखा तो वह सुदीप को नहीं देखा पाते हैं फिर जबस सुदीप को ढूढने के लिए अपने बिस्तर से उठता है तो वह अपने बीमार के बिस्तर के सामने कुछ पैसे रखे थे ।उस पैसो को देखकर आदमी बहुत खुश हो गया और खुशी से उसके आखों से आंसू छलक आया कियो कि उस पैसो की रकम बहुत ज्यादा थी ।