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एक माँ का दर्द
प्रेरणादायक सन्देश -

एक बूढ़ी माँ को रोते देखा मंदिर के बाहर तो उनसे पूछा माँ जी क्या हुआ आप क्यों रो रही हैं बेटा तीन दिन पहले मेरा बेटा बोलकर गया था माँ मेरा इंतजार करना मैं गाड़ी पार्क करके आता हूँ वो अभी तक नहीं आया मुझे लेने माँ जी आपको घर का पता याद है कहाँ है बेटा बुढ़ापे मे कुछ नहीं रहता घर कहाँ है माजी मेरे घर चलो बहुत धूप है घर आराम करना भूख लगी होंगी कुछ खाया आपने बेटा 3 दिन से मंदिर का प्रसाद खाकर पानी पीकर ही रह रही हूँ मेरे घर चलिए वहाँ पर खाना खाकर आराम करना बहुत धन्यवाद बेटा माजी धन्यवाद मत कहिये।
मेरी माँ जैसी है आप फिर उनको घर ले गई खाना खिलाया खाते खाते रोने लगी मेरा बेटा मुझे छोड़ देगा लावारिस की तरह कभी सोचा नहीं था मेरा बेटा बहुत अच्छा था पर शादी होने के बाद जैसे मुझे भूल ही गया पर मेरा बेटा जहाँ मैं रहे ख़ुश रहे माता जी रोईये मत जो आपके साथ हुआ कल आपके बेटे के साथ होगा माजी कुछ दिनों साथ रहीलेकिन जितने दिन भी रही हर रोज अपने बेटे को याद करके रोती थी। फिर एक दिन मुझे बोली बेटा मुझे मेरी बेटी के घर छोड़ दो याद है आपको बेटी के घर का पता बेटा ज़ब बेटी मिलने आयी थी पता मुझे लिखकर दे गई थी मैंने अपनी सारी के पल्लू मे बांधा था कहानी का उद्देश्य बाप को समान समझकर लावारिस मत छोड़िये क्योंकि आपके माता पिता नहीं होते तो आप भी एक लावारिस की तरह कही भटक रहे होते। माँ बाप को आपके प्यार सम्मान वक़्त के अलावा कुछ नहीं चाहिए आपसे माँ बाप ने तो अपनी पूरी ज़िन्दगी आप पर निछावर कर दी तो क्या आप बुढ़ापे मे माता पिता की सेवा भी नहीं कर सकते तो आपके औलाद होने पर लालत हैं मुझे एक बार मेरी बात पर गौर जरूर करना। और जो आज आप अपने माता पिता के साथ कर रहे हो वो कल आपकी औलाद भी आपके जरूर करेगी तब आपको माता पिता का दर्द समझ आएगा।

लेखिका पूर्णिमा राय रामनगर उत्तराखंड ।
© Purnima rai