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एक कदम आध्यात्मिकता की ओर
सब लोग जानते हैं कि
कोई हमसे प्यार नहीं करता
फिर भी लोग मन के वशीभूत
हो कर करते जाते हैं।
हर एक मनुष्य के जीवन में
एक न एक दिन ऐसी स्थिति
जरूर आती है कि उसे लगता है
कि कोई हमसे प्यार नहीं करता
सब अपने स्वार्थ से प्यार करते हैं
उस दिन उसे भगवान के सिवा
और किसी का ध्यान नहीं आता
परन्तु जब तक उसे ज्ञात होता है
तब तक उसके पास समय नहीं
बचता।
क्योंकि उसने भगवान से प्रेम न
करके सांसारिक भोग विलासों
का स्वाद लिया।
कई बार ये सुनने में आता है कि
हमारा मन पूजा पाठ और ईश्वर
भक्ति में नहीं लगता।
आपने अपने मन को जिस पथ
पर अग्रसर किया है वो उन्हीं
कर्मों का अनुशरण करेगा
अगर आपने उसे भगवान में
समर्पित किया होता तो
वो भगवान के मनन चिंतन के
अलावा और कहीं लगता ही नहीं
इसीलिए अपने मन को काबू में
करने का एक मात्र साधन है
भगवान या अपने इष्ट देव के मूल
मंत्र का चिन्तन करना, ध्यान करना
हां ऐसा करने पर आपको कुछ
दिन अजीब लगेगा लेकिन धीरे-धीरे
आपका मन विषय विकारों से
हटकर भगवान की शरण की ओर
जायेगा।
फिर आपका जीवन मंगलमय हो
जायेगा फिर आप हर समय आनन्दित
रहोगे।
आप अपने में ये भाव रखो कि संसार
में कोई सुन्दर नहीं है सिवाय ईश्वर के।
तो आप किसी के मोह जाल में नहीं
फंसोगे, बुरी प्रवृतियों के वशीभूत
नहीं होंगे।
अगर आपको सुन्दरता देखनी है तो
मेरी राधारानी के मूर्ति स्वरूप का
दर्शन कीजिए,आप कुछ क्षण के
लिए स्तब्ध हो जाओगे।इसे कहते है
वास्तविक सुन्दरता। जो अनन्त युगों
से भक्तों का ही नहीं बल्कि तीनों
लोकों के स्वामी भगवान श्रीकृष्ण
का भी मन हरण करतीं आयी है
जिनके प्यार के वशीभूत होकर
होकर स्वयं नारायण राधा नाम का
आश्रय लेते हैं जिनके पद कमलों
में आनन्द का सुख भोगते हैं। भला
ऐसी करूणा मयी सरकार श्री राधारानी
का भक्त होना कोई छोटी बात नहीं है
हर कोई उनके नाम का दीवाना नहीं
होता लेकिन जो प्यारी जू की शरण
में एक बार चला जाता है तो उसके
सब दुष्कर्मों का नाश हो जाता है
फिर वो निर्मल हो जाता है।
मैं ये नहीं कहता कि आप राधा नाम
का सुमिरन करें। जो भी आपके इष्ट
देव या देवी हैं उनका सुमिरन करें।
आपको सप्ताह में एक बार अपने
इष्ट देव की आराधना अवश्य
करनी चाहिए वो भी सच्ची श्रद्धा
के साथ ‌।
शारीरिक पवित्रता भी जरूरी है
लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है
मन की पवित्रता। अगर आप
मन से पवित्र नहीं है तो गंगा
स्नान करके भी आपको कोई
लाभ नहीं होगा।
ये प्रसंग लिखने का मेरा नहीं
बल्कि इसके पीछे किशोरी की
इच्छा है क्योंकि उनकी कृपा के
बिना मैं क्या, कोई भी कुछ नहीं कर
सकता। इसीलिए उनके
मार्गदर्शन से मैंने ये लिखा है मैं
इस प्रसंग के द्वारा आपको ये
अवगत करा सकूं कि आपका
मुख्य कर्म क्या है इस धरा
पर जन्म लेने का।
क्योंकि मानव जीवन ऐसे ही
नहीं मिलता। आपको मिला है
इसके पीछे यह कारण है कि
आप के कुछ कुकर्म पिछले
जन्म के अभी बाकी हैं। अगर
आपने इस जन्म में ये पाप नहीं
मिटाये तो आपको दूसरा मौका
नहीं मिलेगा। इसीलिए मैं Wrico के
सभी मित्रगणों से अनुरोध करता हूं
कि मेरी बातों पर मनन चिंतन करें
और अनुशरण करें। मेरे द्वारा लिखा
गया हर एक शब्द सत्य है।
भगवद भक्ति का आनन्द लें
अपना जीवन धन्य बनायें।

जय श्री राधारानी
जय श्री बरसाने वाली
जय श्री लाडली जू
जय श्री किशोरी जी
जय श्री श्यामा जू





© Shaayar Satya