...

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दिल ढूंडता है
#WritcoAnthology


शेर पे दश किलो का वज़ण लेके नींद से अभी अभी जागा है अनिकेत। शेर से लेके आंख तक अजीब तरीके से दुख रहा ह्यां।

डिंग डोंग…

कलिंगेल बजा रहा है कोई। कौन है! ज़मीन पर पैर रखते ही पेट में अजीब सी हलचल शुरू हो गेयी। अनिकेत दौड़ के बाथरूम में गया। कमोड का ढक्कन उठाते ही जैसे महीनों के जमा हुया भड़ास निकल गया… भडका के साथ पोटेटो चिप्स।

डिंग डोंग…

अजीब बात है!!! आजकल किसका समय इतना सस्ता है!!! अभी तक नही गया जो आया था। उसकी एसी क्यया ज़रूरत पड़ गयी अनिकेत के साथ!!!

टॉबल लेके मु पौंछते पौंछते अनिकेत ने दरवाज़ा खोला। सामने जो खड़ा था अनिकेत उसे पहचान नही पाया। पच्चीस छब्बीश का लड़का था, एक डार्क ब्लू कलर की शर्ट थी उसके बदन में। गोरे चेहरे के साथ जाच रखा था बोहोत। उसके कन्धे से एक छोटा सा ऑफिस ब्याग लटक रहा था।
अनिकेत ने जल्दी से कहा,

---- म्याय सेल्समैन से कुछ नही खरीद ता। थैंक इउ।
---- You're mistaking me Sir. I'm not a salesman.
---- अच्छा! तो फिर क्यया काम है?
---- म्याय आप से कुछ खरीद ने आया हूं।
---- मुझसे!!! सोरी, पर म्याय बिजनेस नही करता। तो आप से ही कुछ गलती हो रही है।
आखरी शब्द कहते कहते ही अनिकेत ने दरवाजा लगाने...