...

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रात और अंधेरा
रात का ब्याह अंधेरे के साथ होना था,
वो भी अमावस के दिन
इस बात पर चंदा मामा नाराज हो गए
और सब कुछ छोड़ कहीं चले गए

अब धरती माँ अकेली पड़ गईं
परिवार में एक भाई था वो भी छोड़ गया

धीरे धीरे ब्याह का समय भी आ गया
उनकी ये व्यथा देख
कुछ जीवों से रहा नहीं गया
और जुगनू दीप जलाने में लग गए
फतिंगो ने गाना शुरू कर दिया
सियार सुर लगाने लगें
और कुत्ते तो पूरे के पूरे मतवाले हो गए
पूरा शोर-शराबा करने लगें

ये देख धरती के आँसू निकल आएँ
वो रोने लगीं, अब धरती के आँसू मीठे थे
तो सब ने उसे ओस कह दिया

सुबह होते ही चिडियों ने ये खबर इंसानो से बताई
पर उन्हें कोई बात समझ नहीं आयी
ये साफ था कि वे रात भर सो रहें थे
और उठते ही रात को अंधेरे से
अलग करने में जुट गए...