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राज़-ए-कत्ल (part-2)
उसने यह बात अमित ओर निशा को बताई तओ उन्होनें इस बात पर यकीन नहीं किया ओर राज को कहा कि यह उसका वहम है।रस्मे पूरी हो जाने के बाद सभी अपने-अपने कमरे में जा कर आराम करने लगे,राज भी अपने कमरे में चला गया। अंदर जाते ही उसके होश गये। उसने देखा कि पूर्णिमा दुल्हन बनकर पंखे से लटकी हुई है, उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी, वह पसीना-पसीना हो गया और हड़बड़ी में कमरे से बाहर निकल गया।
वैसे मैं बता दूं कि, आप जिसे नयी दुल्हन समझ रहे है, अब उसमे पूर्णिमा की आत्मा अपना बदला लेने के लिये प्रवेश कर चुकी थी।
जैसे ही राज भागता हुआ अपने कमरे से बाहर निकला, तो उसकी माँ ने कारण पूछा, लेकिन वह कुछ बता न सका।अगले दिन उसने यह बात अमित और निशा से कही,तो उन दोनो ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और राज से कहा कि,"आप भाभी को भुल नही पा रहे है, इसलिए आपको ऐसा वहम बार-बार हो रहा हैं। आए दिन राज डरावनी-डरावनी घटनाएँ होती,जैसे- नल से पानी की जगह खून का बहना,लाईट का बार-बार आना जाना,रात को कभी हंसने की तो कभी रोने की आवाज़ें आना,पर उसकी बातो पर यकीन करने वाला कोई नहीं था। इन सब हादसो के बाद उसको रेनू से डर लगता था, वह उससे बात करना तो दूर, नज़रे मिलने से भी डरता था।
उसका यह व्यव्हार रेनू को भी अजीब लगता था,लेकिन उसे क्या पता था कि उसके ऊपर किसी प्रेत आत्मा का साया है। एक दिन निशा अपने मायके जाने के लिये तैयार हुई, अमित भी उसके साथ उसे छोड़ने जा रहा था, उनकी ट्रेन शाम आठ बजे की थी,यह पूर्णिमा के पास अच्छा मौका था,बदला लेने का। अगली सुबह दो लाशे पायी गयी, यकीनन वे अमित और निशा की ही थी। यहां पूर्णिमा का बदला पुरा तो नही हुआ लेकिन,उसको कहीं-न-कहीं थोड़ी संतुष्टि मिली। इधर, ये सब देखकर राज समझ चुका था कि इन हो रही घटनाओं के पीछे पूर्णिमा ही है, और अब शायद अगला उसका ही नम्बर था।
........ be continued.
# next part coming soon.
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