...

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डरते क्यों हो
अजीब बात है ना
यहां हर चीज को समझाने के लिए भय का सहारा लिया गया है और फिर उम्मीद ये की जाती है की आप भयभीत ना हों।
बचपन से भय आपके अंदर कूट–कूट कर भरा जाता है।
पढ़ाई नहीं करोगे तो सबसे पीछे रह जाओगे,
और फिर पीछे छूट जाने का डर मन में बैठ जाता है।
सुंदर नही दिखोगे तो ठुकराए जाओगे और फिर
ठुकराए जाने से डर लगता है।
उमर के साथ आप इन सब डर से पर पाते हो,
फिर पकड़ा दिया जाता है एक डर
शादी नहीं करोगे बच्चे नही होंगे तो अकेले रह जाओगे।
और आप डरने लगते हो,तन्हा रह जाने से।
आप इन डर की वजह से जाने कितने गलत फैसले लेते हो।
अन्त में एहसास होता है की आपको तो डर को हराना था
पर आप हार जाते हो खुद डर के हाथों।
भय में रह कर लिया गया फैसल सही कैसे हो सकता है?

तो पहले जरूरी है भयमुक्त होना यकीन मानिए फैसला लेना फिर आसान हो जायेगा।

#मुस्कुराओ
#भाक्यमुक्तरहो
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