कलह
"कलह*.. जिसे हम घरेलू लड़ाई झगड़ा या दंगा फसाद भी कह सकते है।किसी पर इसका ज्यादा असर नहीं होता तो कहीं छोड़ देता है गहराया मौन, अमिट छाप और,और भी बहुत कुछ तोड़ देता है ये.. कलह।
कहानी के माध्यम से यहीं बताने की एक छोटी सी कोशिश की गई है..🙏
*कलह*
"संजना कहां मर गई..? न मेरा ब्रेक फास्ट बनाया ना ही लंच.. , मां को भी चाय नहीं दी अब तक। थोड़े थोड़े दिन में इस पागल औरत को दौरे आते है न खुद चैन से जीती है न हमें जीने देती है।"
बड़बड़ाता हुआ महेश अपने काम पर चला गया,रास्ते भर वो संजना को कोसता ही रहा।
महेश 32 वर्षीय मध्यम वर्गीय परिवार का मुखिया है।पिता के निधन और मां की बीमारी ऊपर से ये ग्रह कलह।
शांत और हंसमुख महेश की संजना से मुलाकात कोई नई नहीं थी,वे दोनो बचपन से ही दोस्त थे , साथ में ही अपनी पढ़ाई पूरी कर दोनो का विवाह हो गया एक ही धर्म से होने से विवाह में कोई बाधा नहीं आई।
बहुत ही धूमधाम से शादी हुई ,सभी लोग बहुत खुश थे,महेश के माता पिता भी संजना से बहुत खुश थे।लेकिन उनकी खुशियों को किसी की नज़र लग गई।
शादी की पहली सालगिरह पर महेश के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई,संजना उस समय गर्भवती थी। "कैसे पगफेरे की बहु लाई हो तुम साल भर में ही ससुर को खा गई ।अब तुम तुम्हारा ख्याल रखना कहीं ऐसा ना हो कि ये डायन सभी को निगल जाए..!" दुःख बांटने आए रिश्तेदार संजना को गहरा दुःख देकर लौटे।
संजना का जीवन नर्क से भी बदतर हो गया,महेश और...
कहानी के माध्यम से यहीं बताने की एक छोटी सी कोशिश की गई है..🙏
*कलह*
"संजना कहां मर गई..? न मेरा ब्रेक फास्ट बनाया ना ही लंच.. , मां को भी चाय नहीं दी अब तक। थोड़े थोड़े दिन में इस पागल औरत को दौरे आते है न खुद चैन से जीती है न हमें जीने देती है।"
बड़बड़ाता हुआ महेश अपने काम पर चला गया,रास्ते भर वो संजना को कोसता ही रहा।
महेश 32 वर्षीय मध्यम वर्गीय परिवार का मुखिया है।पिता के निधन और मां की बीमारी ऊपर से ये ग्रह कलह।
शांत और हंसमुख महेश की संजना से मुलाकात कोई नई नहीं थी,वे दोनो बचपन से ही दोस्त थे , साथ में ही अपनी पढ़ाई पूरी कर दोनो का विवाह हो गया एक ही धर्म से होने से विवाह में कोई बाधा नहीं आई।
बहुत ही धूमधाम से शादी हुई ,सभी लोग बहुत खुश थे,महेश के माता पिता भी संजना से बहुत खुश थे।लेकिन उनकी खुशियों को किसी की नज़र लग गई।
शादी की पहली सालगिरह पर महेश के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई,संजना उस समय गर्भवती थी। "कैसे पगफेरे की बहु लाई हो तुम साल भर में ही ससुर को खा गई ।अब तुम तुम्हारा ख्याल रखना कहीं ऐसा ना हो कि ये डायन सभी को निगल जाए..!" दुःख बांटने आए रिश्तेदार संजना को गहरा दुःख देकर लौटे।
संजना का जीवन नर्क से भी बदतर हो गया,महेश और...