रिश्ते
बचपन कब आया और कब चला गया मुझे पता ही नहीं चला। समय जैसे पर लगाकर उड सा गया। क्या दिन होते हैं बचपन के न कोई गम, न फिक्र न हमे ये पता होता है कि दुख क्या है। बस खेलते कूदते दिन पलक झपकते ही बीत जाते हैं। जवानी में कदम रखते ही वो प्यार का पहला अहसास। प्यार जिसका पहला अक्षर ही अधूरा हो।तो वो पूरा कैसे हो सकता है। लव मैरिज की थी। सागर और...