uff ye kashmakash
जो अपने नहीं फिर भी
हक़ आजमाना पड़ता है।
यहां बेदिली से ही मगर
दिल लगाना पड़ता है।
कुसूर हमारा हो या उनका
जो जानकर अनजान बने
कभी अनजान होकर भी
जान बुलाना पड़ता है।
लगते है पर होते नहीं...
हक़ आजमाना पड़ता है।
यहां बेदिली से ही मगर
दिल लगाना पड़ता है।
कुसूर हमारा हो या उनका
जो जानकर अनजान बने
कभी अनजान होकर भी
जान बुलाना पड़ता है।
लगते है पर होते नहीं...