अनजान
ऐसा नहीं था की हम दोनों अनजान थे कि आगे क्या होने वाला है हमारी अपनी ज़िंदगियों के साथ । बस इसी असमंजस मैं हमने अपनी ज़िन्दगी के इतने साल निकाल दिए , कभी समाज क्या कहेगा या फिर कभी की बच्चो का क्या होगा । पर अब जब हमने मन बना ही लिया है अलग होने का तो दिल को एक सकून सा मिल रहा है । यहां बात मेरी और मेरे पति की हो रही है , में सरिता बी. ए पास खुद की ही एक छोटी सी कम्पनी चलाती हूं दिल्ली में । मेरे पति यशवर्धन एमबीए किए हुए , एक बड़ी सी कम्पनी में काम करते है । आज से 12 साल पहले मैं अपने पति से मिली थी , मेरे पिताजी के ही कोई दोस्त यह रिश्ता लेकर आए थे । उस समय सबको सब कुछ सही लगा तो हमारी शादी हो गई थी , मेरे पति यशवर्धन जो कि बहुत ज़्यादा बातूनी थे और उनके उलट में चुप रहने वाली । उनको लम्बी यात्राओं पर जाना अच्छा लगता था और मुझे घर पर रहना । उनको मांसाहारी भोजन पसंद था और में शुद्ध शाकाहारी , पर कहते है ना शादी के बाद दोनों इंसानों की आदतें थोड़ी बहुत बदल जाती है । हमारे साथ भी कुछ ऐसा...