bhed_bhav jaat paat
मैं जब छोटा था बचपन की बात है मुझे उस समय ज्ञान नहीं था, पैसों के बारे में अर्थात के कौन से पैसे का मूल्य ज्यादा है या कम है मुझे सिर्फ एक चीज समझ में आती थी ₹5 का मोटे सिक्का मेरे लिए सब कुछ था कुछ यूं कहिए कि मुझे इससे बड़ा कुछ समझ ही नहीं आता था बचपन में जब दादाजी स्कूल ले जाया करते मुझे कभी दस के नोट देते कभी पांच के नोट देते हैं उस समय 1_2 के भी नोट चलते थे वह भी हमें मिलते थे।पर मैं एक अबोध बालक ठहरा_मेरे दिमाग में तो सिर्फ एक चीज थी हां भाई ₹5 का मोटा सिक्का ही सब कुछ है,
उस ₹5 में मेरा और मेरे दोस्तों...
उस ₹5 में मेरा और मेरे दोस्तों...