आज भी
याद हैं, मेरी माँ के जन्मदिन पर उनके लिए तोहफा खरीदने गए थे हम साथ। घँटों, आधा दर्जन दुकान ढूंढने के बाद मुझे कुछ मिला।
कुछ खरीदने की ख़ुशी इसलिए दोगुनी हो जाती थी, की तुम साथ हो। मेरा कभी तुमसे मन भरा ही नहीं, मैं आज तक नहीं समझ पायीं ऐसा क्यों हैं।
तुम्हारा से मिलना ठीक वैसा जैसे एक बच्चें का अपनी माँ को चाहना।
समान का...
कुछ खरीदने की ख़ुशी इसलिए दोगुनी हो जाती थी, की तुम साथ हो। मेरा कभी तुमसे मन भरा ही नहीं, मैं आज तक नहीं समझ पायीं ऐसा क्यों हैं।
तुम्हारा से मिलना ठीक वैसा जैसे एक बच्चें का अपनी माँ को चाहना।
समान का...